समृति सन्दर्भ [भाग-५] | Smriti Sandarbha [Bhag-5]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १० अध्याय प्रधान विषय और साय॑ काठ सरस्वती का ध्यान करना चाहिये । ग्रतित्रह, अन्नदोष; पातक और उपपातकों से गायत्री मन्त्र के जपनेवाठे की गायत्री रक्षा करती है इसलिये इसका नाम गायत्री दै। प्रतिम्रह्ादन्नदोषात्पातकादुपपातकात्‌ । गायत्री प्रोच्यते यस्मादू गायन्त॑ त्रायते यतः ॥११६॥। ... सविता को प्रकाशित करने से इसका नाम सावित्री और संसार की प्रसवित्री वाणी रूप से होने से इसका ..... इसका नाम सरस्वती अन्वर्थ है (जसा नाम बेसा गुण) (११२-११६ ) । सती आपोहिष्ठेत्यादि माजन मन्त्रों में नो ओ कार के _ साथ जो माजेन किया जाता है उससे वाणी, मन और ... शरीर के नवों दोषों का क्षय हो जाता है (११७-१२०) । ... सायंकाठ में अध्य जछ में न देवे जहाँ सन्ध्या की जाय ... बहीं जप भी हो । वेदोदित नित्यकर्मा का किसी कारण. ...... अतिक्रमण हो जाय तो एक दिन बिना अन्न खाये रहना ..... चाहिये और १०८ गायत्री मन्त्र के जप दोनों सन्ध्या . में विशेष रूप करे (११-१९ )।...




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