महाभारत समालोचना भाग 1 | Mahabharat Samaloachana Bhag 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
87.67 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्
मु दि
८्न्ड
जा
कै दि
यह! न
2
् का
पर
ही, अं एन
मद”
1.
पटल
पका कूल'
2
पद
एउरश पक
फ् 2 शक दर
सु नसद;
फ
ऑन
ः 0 पु
बस:
हर
कलवमारयसााडा
४
कु सधनल
एक दि भर ४) “अ भु; . पर
उप ऊ दास
सर
काका
दि.
(१४) मद्दाभारत की समालोंचना ।
यह भगवान व्यासजी का कथन थि-
चार करने योग्य हैं । इस महाभारतके
स्वरूपका वणन करते हुए''मेंने कौरव पां-
उचों की कथा लिखी हैं । ” ऐसा कहा
नहीं है, प्रत्युव ऐसा कहां कि; “ इस
अपू्े काव्यम इतने विविध शाखोंका व-
णन किया हैं।' इसका स्पष्ट तात्पय यह
है कि इस ग्रंथमें “विविध शाखों के संग्रह
की बात प्रधान हू” और विशिष्ट राजा
के दत्तांत कहनेकी बात गोण है । अथवा
याभीकह सकते हैं कि, कॉरव पांडचों
के काव्यमय इतिहास के कथन के सिषसे
इस महाभारतमें विविध शाखर दी कहे गये
हैं । यदि पाठक महाभारत का अभ्यास
करनेके समय इस मुख्य बात को ठीक
प्रकार स्मरण रखेंग तो दही वे महाभारत
के अभ्यास से आधेक से आधिक लाभ
उठा सकते हैं। अथात्--
( १; महाभारत एक अपू्॑ काव्य
ग्रंथ है
( २) कांर-पीडवॉंकि इतिहास के
सिषसे उसमें विविध शाखोंका
घणन &,
(६ २ ) पूवाक्त बेदाद घाख्राका संग्रह
करना यह इस ग्रंथका मुख्य
उद्देश्य हूं और--
(४) इस उदध्यक अलुसार इसमें
चंदादि शाखोस ठंकर अन्य
संपूर्ण शाख-जो इस महा-
सारत कांलसें विद्यमान थे,
कि
उनका संग्रह किया गया हैं ।
।.... अथात् यह ग्रंथ चास्तवमें एक काव्य
' रूप सारग्रंथ,विश्वकाद्य (ए0८फुलाणुतातओे
सारंसंग्रह,सवशाखसारसंत्रह ग्रंथ है ।इरामे
|. अन्यशाखोंके साथ साथ इतिहास सी हैं।
यह महाभारत ग्रथको विशेषता पाठक
ध्यान मे घर । व्यास भगवान को अन्य
।. य्ातज्ञा भों यहां देखने योग्य है
भारतव्यपदेद्यीन च्यास्ायाधं-
शा दाशितः |
श्री. भागवत, १।४।२८
न
|
“भारत के सिषसे वेदकाही अथ प्रद-
शिंत किया है। ” तथा और देखिये
न स्त्री दद्वद्विमबधूना चयी न
।... छुतिगोचरा | क्श्रयासि
|... सूढानां आय एवं अवदिह ॥
|... इति मारतमार्यानं कृपया
सुनिचना कृतम् ॥
श्री. भागवत, 41४1२'४
मी, शूद्र और द्विजवंघु अधीत् मूढ
द्ज य लाग ऋतका अथ समझ नहीं
सकते,इसलिये इन मूढोंको श्रेय: प्राप्तिका
उपाय ज्ञात हो जाय, इस देतुसे व्यास
मुनिने मारत नामक आख्यान रचा है।”
अथात शो मूढ लोग प्रत्यक्ष वेद मंत्र पठ
कर अथे नहीं तमझ सकते ,उनको बेदाक्त
न सनातन घ्मका ज्ञान देवक लियं भारत
की रचना की गई हें ओर इसी कारण
इस में भारत कथा के मिषस ” बेदका
अथ ही प्रकाशित किया गया है ।” तथा
न *. /#९
आर ढाखय -
न्न्ट्टदे्डद्धारडऊ ध्सरटुपसकरननर दशक के अदमररसकल्सरिकरसस/ कण डक करा
User Reviews
No Reviews | Add Yours...