महाभारत समालोचना भाग 1 | Mahabharat Samaloachana Bhag 1

Mahabharat Samaloachana Bhag 1  by श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्‌ मु दि ८्न्ड जा कै दि यह! न 2 ् का पर ही, अं एन मद” 1. पटल पका कूल' 2 पद एउरश पक फ् 2 शक दर सु नसद; फ ऑन ः 0 पु बस: हर कलवमारयसााडा ४ कु सधनल एक दि भर ४) “अ भु; . पर उप ऊ दास सर काका दि. (१४) मद्दाभारत की समालोंचना । यह भगवान व्यासजी का कथन थि- चार करने योग्य हैं । इस महाभारतके स्वरूपका वणन करते हुए''मेंने कौरव पां- उचों की कथा लिखी हैं । ” ऐसा कहा नहीं है, प्रत्युव ऐसा कहां कि; “ इस अपू्े काव्यम इतने विविध शाखोंका व- णन किया हैं।' इसका स्पष्ट तात्पय यह है कि इस ग्रंथमें “विविध शाखों के संग्रह की बात प्रधान हू” और विशिष्ट राजा के दत्तांत कहनेकी बात गोण है । अथवा याभीकह सकते हैं कि, कॉरव पांडचों के काव्यमय इतिहास के कथन के सिषसे इस महाभारतमें विविध शाखर दी कहे गये हैं । यदि पाठक महाभारत का अभ्यास करनेके समय इस मुख्य बात को ठीक प्रकार स्मरण रखेंग तो दही वे महाभारत के अभ्यास से आधेक से आधिक लाभ उठा सकते हैं। अथात्‌-- ( १; महाभारत एक अपू्॑ काव्य ग्रंथ है ( २) कांर-पीडवॉंकि इतिहास के सिषसे उसमें विविध शाखोंका घणन &, (६ २ ) पूवाक्त बेदाद घाख्राका संग्रह करना यह इस ग्रंथका मुख्य उद्देश्य हूं और-- (४) इस उदध्यक अलुसार इसमें चंदादि शाखोस ठंकर अन्य संपूर्ण शाख-जो इस महा- सारत कांलसें विद्यमान थे, कि उनका संग्रह किया गया हैं । ।.... अथात्‌ यह ग्रंथ चास्तवमें एक काव्य ' रूप सारग्रंथ,विश्वकाद्य (ए0८फुलाणुतातओे सारंसंग्रह,सवशाखसारसंत्रह ग्रंथ है ।इरामे |. अन्यशाखोंके साथ साथ इतिहास सी हैं। यह महाभारत ग्रथको विशेषता पाठक ध्यान मे घर । व्यास भगवान को अन्य ।. य्ातज्ञा भों यहां देखने योग्य है भारतव्यपदेद्यीन च्यास्ायाधं- शा दाशितः | श्री. भागवत, १।४।२८ न | “भारत के सिषसे वेदकाही अथ प्रद- शिंत किया है। ” तथा और देखिये न स्त्री दद्वद्विमबधूना चयी न ।... छुतिगोचरा | क्श्रयासि |... सूढानां आय एवं अवदिह ॥ |... इति मारतमार्यानं कृपया सुनिचना कृतम्‌ ॥ श्री. भागवत, 41४1२'४ मी, शूद्र और द्विजवंघु अधीत्‌ मूढ द्ज य लाग ऋतका अथ समझ नहीं सकते,इसलिये इन मूढोंको श्रेय: प्राप्तिका उपाय ज्ञात हो जाय, इस देतुसे व्यास मुनिने मारत नामक आख्यान रचा है।” अथात शो मूढ लोग प्रत्यक्ष वेद मंत्र पठ कर अथे नहीं तमझ सकते ,उनको बेदाक्त न सनातन घ्मका ज्ञान देवक लियं भारत की रचना की गई हें ओर इसी कारण इस में भारत कथा के मिषस ” बेदका अथ ही प्रकाशित किया गया है ।” तथा न *. /#९ आर ढाखय - न्न्ट्टदे्डद्धारडऊ ध्सरटुपसकरननर दशक के अदमररसकल्सरिकरसस/ कण डक करा




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