शैतानी - पंजा | Shaitani Panja
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
137.47 MB
कुल पष्ठ :
340
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डा दूं शोतानी-पज्ा
टु डे नडिव द* एससी रह) नकीन
दूसरा पॉरिच्छेद ।
बरस
निशीथ कालमें राजासाइब ।
रो साहब स्तस्मित होकर बहुत देरतक उस
। मरणोन्मुख जीवन-शिखाकी ओर शून्य टूष्टिसे
४ ताकते रहे। इस खेखक महाशयकों अपनी
) उपस्थित बुद्धिका बहुत गर्व था । परन्तु मौका
** पड़नेपर अक्सर मनकी बुद्धि हवा खाने चली
जाती थी | लेखक मद्दोदय यदि चाहते तो ऐसी कितनी ही घट-
नाओंकी अवतारणा करके 'माटि नजिदा” जैसी कितनी हौ पुस्त-
कॉकी संख्या बढ़ा सकते थे। परन्तु इस टूश्यकों आंखों के सामने
उपस्थित देखकर वह्द एक वारगी किंकत्तव्य विमूढ़ हों गये ।
बहुत देरतक इसी मानसिक उत्तेजनामें रहनेपर एकाएक
उन्हें एक वात सूभ्ही । उन्होंने अस्फुट स्वरमें कहा-“डाकूर कश्ब-
रली तो शायद घरपर ही होंगे । क्यों न में उन्हींकों बुलाऊं ?”
इस विचारके उठते ही उनकी असा इता जाती रही । मानों
उनमें नयी शक्तिका आविर्भमाव हो गया । एक छलांममें वह -
कमरेसे बाहर निकले और सीढीसे होकर दोतछेंपर अपने मित्र
डाकूर कस्बरलीके पास जा पहुंचे । क
' इघर पाठागारमेंगघड़ी टिक टिक करती हुई अपने निदि
प्थपर चलने उगी । अब ऐसा भास दोता था कि १२ बजनेका
तक
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