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रामावतार चेतन - Ramavtar Chetan

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सत्येन्द्र श्रीवास्तव - Satyendra Srivastava

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नई ज़िन्दगी और नए जीवन का पौधा / श्वेत कपोतों की जोड़ी भी आपस में कुछ बोल-बता कर दूर मुंडेरों पर जा बेटी . गोरयों ने शोर मचाया आर दीमकों के टूटे पर चीख़-चीख तीतर जा बेठा | घर का कु ्ता जाग गया है, डॉट रहा है प्रँद खड़ी कर जाने किस अजनवी श्वान को , उसको भय है उसका दिन ख़राब बीतेगा-- ( कहता जेसे सुबह-सुबह किसका मुँह देख लिया मैंने भी / ) अपनी भाषा में उसने उस नामाकूल श्वान को उसकी कम-अक्ली पर शायद बुरी गालियाँ दी हों / शोर-शराबा, खट्-खट्‌ , टनू-टन्‌ ; मला-बुरा, क्रय-विकिय का बाज़ार गम अब | उधर सामने, नयी सड़क पर बघी पुलिस की हथकड़ियों में गुज़र रहा है एक आदमी, शायद कोई नया चोर है, कहीं रात में इसने सेंध लगाई होगी-- क्यों कि इन दिनों चोरों का हर तरफ शोर है। पर चिन्ता कया 2 बहरहाल, हर जगह थोर है / श्ध््य




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