संक्षिप्त आत्म कथा | Sankshipt Atam Katha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
559.3 MB
कुल पष्ठ :
232
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बिवाहू और मांस-भक्षण प्
हैं, इसलिए दोनोंमें निकट सम्बन्ध है । उर्दूको मेंनें अलग भाषा
नहीं माना, क्योंकि उसके व्याकरणका समावेश हिन्दीमें होता
है। उसके शब्द फारसी और अरबी ही हैं ! ऊँचे दरजे की उर्दू
जाननेवालेके लिए अरवी और फारसी जानना आवश्यक होता
है, उस रलरल डर दर: गर उच्चकोटिके गुजराती, हिन्दी, बंगला, मराठी जानने-
वालेक लिए संस्कृत जानना जरूरा ह । कि
अप... यम
पड
विवाह और मांस-भक्षण
यह लिखते हुए मेरे हृदयकों बड़ी व्यथा होती है कि १३ वर्ष-
की उमस्में मेरा विवाह हुआ । आज में अपनी आँखोंके सामने
१२-१३ वर्षके वच्चों को देखता हूँ और जव मुझे अपने विवाह-
का स्मरण हो आता है तब मुझे अपने ऊपर तरस आता है, और
उन बच्चोंकों इस वातके लिए बधाई देनेकी इच्छा होती हैकिवे
मेरी-सी हालतसे बच गये । तेरह सालकी उम्रमें हुए मेरे विवाह-
के समर्थनमें एक भी नैतिक दलील मुझे नहीं सूझती । यह में पहले
कह आया हूँ कि जब मेरी झादी हुई तब में हाईस्कूलमें ही
पढ़ता था । हमारे वर्तमान हिन्दू-समाजमें ही एक ओर पढ़ाई और
दूसरी ओर शादी दोनों साथ-साथ चल सकते हें।
एक और दुःखद प्रसंग यहाँ लिखना है और वह है मेरा एक
बुरे आदमीकी सोहवतमें पड़ जाना । यह मेरे जीवनका एक
दुःखद प्रकरण है। उस व्यक्तिकी मित्रता पहले मेरे मैँझले भाईके
साथ थी। वह उनका सहपाठी था । में उनके कई दोषोंको जानता
था, परन्तु मेंने उसे अपना वफादार साथी मान लिया था । मेरी
माताजी, वड़े भाई और पत्नी, तीनोंको यह संगत वुरी लगती
थी । पत्नीकी चेतावनीकी तो मुझ-जैसा अभिमानी पति परवाह
ही कया करता ? हाँ, माताकी आज्ञाका उल्लंघन करना मेरे लिए
कठिन था । बड़े भाईकी वात भी टाल नहीं सकता था; परन्तु
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