संक्षिप्त आत्म कथा | Sankshipt Atam Katha

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Sankshipt Atam Katha by मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बिवाहू और मांस-भक्षण प्‌ हैं, इसलिए दोनोंमें निकट सम्बन्ध है । उर्दूको मेंनें अलग भाषा नहीं माना, क्योंकि उसके व्याकरणका समावेश हिन्दीमें होता है। उसके शब्द फारसी और अरबी ही हैं ! ऊँचे दरजे की उर्दू जाननेवालेके लिए अरवी और फारसी जानना आवश्यक होता है, उस रलरल डर दर: गर उच्चकोटिके गुजराती, हिन्दी, बंगला, मराठी जानने- वालेक लिए संस्कृत जानना जरूरा ह । कि अप... यम पड विवाह और मांस-भक्षण यह लिखते हुए मेरे हृदयकों बड़ी व्यथा होती है कि १३ वर्ष- की उमस्में मेरा विवाह हुआ । आज में अपनी आँखोंके सामने १२-१३ वर्षके वच्चों को देखता हूँ और जव मुझे अपने विवाह- का स्मरण हो आता है तब मुझे अपने ऊपर तरस आता है, और उन बच्चोंकों इस वातके लिए बधाई देनेकी इच्छा होती हैकिवे मेरी-सी हालतसे बच गये । तेरह सालकी उम्रमें हुए मेरे विवाह- के समर्थनमें एक भी नैतिक दलील मुझे नहीं सूझती । यह में पहले कह आया हूँ कि जब मेरी झादी हुई तब में हाईस्कूलमें ही पढ़ता था । हमारे वर्तमान हिन्दू-समाजमें ही एक ओर पढ़ाई और दूसरी ओर शादी दोनों साथ-साथ चल सकते हें। एक और दुःखद प्रसंग यहाँ लिखना है और वह है मेरा एक बुरे आदमीकी सोहवतमें पड़ जाना । यह मेरे जीवनका एक दुःखद प्रकरण है। उस व्यक्तिकी मित्रता पहले मेरे मैँझले भाईके साथ थी। वह उनका सहपाठी था । में उनके कई दोषोंको जानता था, परन्तु मेंने उसे अपना वफादार साथी मान लिया था । मेरी माताजी, वड़े भाई और पत्नी, तीनोंको यह संगत वुरी लगती थी । पत्नीकी चेतावनीकी तो मुझ-जैसा अभिमानी पति परवाह ही कया करता ? हाँ, माताकी आज्ञाका उल्लंघन करना मेरे लिए कठिन था । बड़े भाईकी वात भी टाल नहीं सकता था; परन्तु




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