शिक्षा - दर्शन की भूमिका | Shikha Dharshan Ki Boomika
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1897.42 MB
कुल पष्ठ :
524
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
जॉन डयुई - John Dyui
No Information available about जॉन डयुई - John Dyui
सुरेन्द्रपाल सिंह - Surendrapal Singh
No Information available about सुरेन्द्रपाल सिंह - Surendrapal Singh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रेण द्वारा जीवन का पुनर्नवीकरण
सजीव और निर्जीव वस्तुओं के वीच सबसे महत्त्वपूर्ण अन्तर यह हैं कि
सजीव वस्तुएँ पुनर्नवीकरण के माध्यम से अपने अस्तित्व को सुरक्षित रखती हैं।
यदि कोई वस्तु पत्थर से टकराती है, तो पत्थर प्रतिरोध करता है। यदि इसकी
प्रतिरोब-दक्ति उस शक्ति से अधिक प्रवल होती है, जिससे उस पर प्रहार किया
गया था, तो उसके वाह्य स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होता ; अन्यथा वह
छोटे-छोटे टुकड़ों में चूर-चूर हो जाता 'हैं। ऐसा कभी नहीं होता कि पत्थर
प्रहार के विरुद्ध अपने अस्तित्व को बनाए रखनें का प्रयास करे अथवा उस
चोट को स्वयं अपनी किसी क्रिया का सहायक तत्त्व बना ले । यह संभव द्द
कि कोई सजीव वस्तु किसी अन्य प्रवल शक्ति से सहज ही में पिस जाय ; किन्तु
फिर भी वह वस्तु अपने ऊपर क्रियाशील समस्त दाक्तियों को अपने भावी अस्तित्व
का एक माध्यम बना लेती हैं। यदि वह ऐसा करने में असमर्थ है, तो वह
छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटती ही नहीं--कम-से-कम जीवन के उच्च रूपों में--
वरन् एक सजीव वस्तु के रूप में अपना अस्तित्व ही समाप्त कर देती है।
जब तक उस सजीव वस्तु की सत्ता रहती है, वह आस-पास की दक्तियों
को अपने हित में नियोजित करने के लिए संघर्ष करती हैं। वह प्रकाश, वायु,
आ््वता और भूमि के पदार्थों का उपयोग करती हैं। इन शक्तियों के उपयोग
करने का अर्थ यही हैं कि वह सजीव वस्तु इन्हें अपने अस्तित्व के संरक्षण का
एक साधन वना लेती हैं। अपनी इस विकासमान अवस्था के लिए वातावरण
को अनुकूल बनाने में उसकी जितनी शक्ति का व्यय होता है, उससे कहीं अधिक
दक्ति की उपलब्धि होती हैं। फलत: वह विकसित होती रहती 'है । अतएव,
यह कहा जा सकता हू कि एक सजीव सत्ता सभी शक्तियों को अपनी क्रमागत
प्रत्रिया के लिए अनुशासित व नियंत्रित किए रहती हैं, अन्यथा वें उस सत्ता को
उपयोग करके समाप्त कर दें । वास्तव में जीवन, वातावरण पर प्रतिक्रिया द्वारा
पुनर्नवीकरण की प्रक्रिया है।
श्दे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...