दहला पागल हो गया | Dahala Pagal Ho Gaya

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Dahala Pagal Ho Gaya by शांति प्रकाश जी - Shanti Prakash Jiश्रीयुत पण्डित शिवकुमार शास्त्री - Shriyut Pandit Shivkumar Shastri

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शांति प्रकाश जी - Shanti Prakash Ji

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श्रीयुत पण्डित शिवकुमार शास्त्री - Shriyut Pandit Shivkumar Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ 3 ५ सड़काली बलिवंश्वदेव यज्ञ वेदानुकूल है । वेद में लिखा है कि -- शुक्रमसि चंद्रमस्थामृतमसि ॥ यज डी १८ तू बैश्वदेव बलि दिया कर जिससे तू शुद्ध शक्तिशाली श्राह्वादप्रापक तथा श्रमृतपदवो प्राप्त कर सके । यह वेद भगवान ने कहा है । बलिवैश्वदेव के मंत्रों में मनुष्य जीवन के कतंव्यों का तिदर्शन है । निर्धेनों श्रनाथों श्रतिथियों गो श्रादि पक्षियों श्र लाभदायक प्राणियों को रक्षा करना इस यज्ञ का ध्येय है । तथा राष्ट्रसक्षा के साधनों को बल पहुंचाना श्रौर उसके विपरीत कार्यों से पृथक रहमा इस बलि- बैश्वदेव यज्ञ का फल है । राष्ट्र रक्षार्थ पापी दु्जेनों की ताड़ना के लिये दंड विभाग के श्राघीन जेलखाने होते हैं जहां सदोष व्यक्तियों का सुधार किया जाता है । इसी विभाग को शास्त्र में भद्रकाली कहा है। मद्र कालयतीति भद्रकाली । भट्टकाल्यैनम का श्रमिप्राय केवल इतना हैं कि इस विभाग के प्रयोग के प्रति श्रामार माना जाये कि दोधियों के दोष दूर कर उनका सुधार हो । हम स्वयं सुधरे रहें श्रौर दूसरों के सुधार हेतु इस सुधार विभाग की सहायता करते हुए इस विभाग के प्रति कृतन्नता का प्रकाश करें । बस इतनी-सी बात थी जिस पर प्रहरि महोदय क्रोघावेश में श्राकर लिखते हैं कि-- यह भद्रकाली क्या श्रायंसमाजियों की मौसी है चाची है दादी है या नानी है । की चोरी करना श्रौर उन्हीं को कोसना उल्टा चोर कोतवाल को डांटे । पुर ४५ मौसी चाची दादी नानी तो. उनकी होगी जिन्होंने उसे काली देवी मानकर उसके नाम से सहूख्रों मूक पशुश्रों को मारकर श्रपने पेट को पशुत्ों का कब्रिस्तान बनाना मान रखा है । खाते हैं स्वयं श्रौर नाम देवी देवत्ता का । उन लोगों के साथ काली देवी का कोई रिश्ता हो तो हो । श्रार्यों के साथ उसका कोई रिश्ता नहीं । हम ऐसे कपोल कल्पित श्रौर पेटपूजा के लिये बनाये गये देवी-देवताओं को मानते ही नहीं तो हमारे साथ इनकी रिश्तेदारी कैसी ? शास्त्र के उल्टे श्र्ों को मानना सतातन बमें का काम है आयें समाज तो यथार्थ शास्त्रीय रहस्यों को खोल-खोल कर उसकी व्याख्या करना धर्म समभता है अत यह वैदिक घर्मे हैं । उसका उल्टा सनातन धर्म ने मान रखा है । श्रौर कभी २ सनातन धर्मी मी शार्यो के श्र्यों को श्रपता कर




User Reviews

  • julia bijayalaxmi

    at 2020-04-22 22:44:36
    Rated : 1 out of 10 stars.
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