गांधी बनाम साम्यवाद | Gandhi Banam Samyawad

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Gandhi Banam Samyawad by गिरिजा शंकर मेहता - Girija Shankar Mehta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४ पुना के श्रस्पताल में बीमार पढ़े थे उस समय मि० ऐराढू ज़ ने वनके विषय में लिखा था-- भारत का वास्तविक शाप्तक जिसका प्रभाव सम्राट की प्रभुत्ता से भी श्रघिक दै-इस समय यहाँ बीमार पढ़ा ह्दे। जिस समय देहली के भव्य प्रासादों में रहनेवाले गवनर के नाम विस्मृति झपने हाथ से पोंछ देगी उस समय भी महात्माजी का नाम स्वर्णाक्तरों मे चमकता रहेगा । भारत की सन्तान श्नन्त काल तक महात्माजी पी कीर्ति-कथा सुनती ही रहेगी । सहात्माडी के श्रत्यस्त विकट विरोधी उनके राजसेतिक प्रतिस्पद्टीं तक उनके व्यक्तित्व का लोहा मान गए हैं। जनरल ९ है ह स्मट्स लॉर्ड रीडिंग लॉड तक जो एक समय छापने महात्माजी का शत्रु समकते थे श्राज निकट मित्रों में-से .. हैं । कुछ दिन हुए मि० पासिंवल लांडोन्‌ सुप्रसिद्ध झंग्रेज्-लेखक ने लिखा था कि-- गाँधी एक राजनीतिक नेता ही नहीं बढिक दतमान समय कें धर्माचाय हैं. और संसार के सबसे बढ़े महा- पुरुष हद हि जिस समय महात्सा गाँधी सरकार के विरुद्ध विद्रोद फैलाने के श्पराघ में श्दालत में पेश किए गए गये थे उस समय भी उनके व्यक्तित्व के प्रभाव की झदालत झवहेलना न कर सकी थी । गाँधीजीं वी राजनैतिक सहयोगिनी सरोजिनी नायडू उस समय का द्णन करनी हुई लिखती हैं-- सहात्माजी ने सरकार की दृष्टि में झापराधी श्ौर गुनहयार के रूप में प्रवेश किया है । परन्तु उनके भीतर पेर रखते ही सम्पूर्ण श्रदालत उनकी श्भ्यर्थना के लिये .. उठकर खड़ी हो गई । जज ने भी उनके साथ झत्यन्त ध्रादर का व्यवददार किया झ्लौर श्पना निणय सुना देने के पश्चात्‌ कहा-- में यह कद्दे बिना नहीं रह सकता कि ध्याप मनुष्य-समाज की ली




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