संस्कृत साहित्य का इतिहास भाग 1 | Sanskrit Sahitya Ka Itihas Vol - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.77 MB
कुल पष्ठ :
376
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सेठ कन्हैया लाल पोद्दार - Seth Kanhaiya Lal Poddar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(च )
रामशंकर झुवल ( रसाल ) के अलझ्वार पीयूष, * कविराजा मुरारिदान
कृत जसवन्तजसोभूषण* आदि पर इनके आलोचनात्मक लेख
पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं जिनका प्रतिवाद आजतक
नहीं निकला ।
सेठजी साहित्य-संसार में ही नहीं किन्तु माखाड़ी समाज में
भी एक विशेष स्थान रखते हैं । ये कुल परंपरागत सनातनधरम के
दृढ अनुयायी हैं । मारवाड़ी समाज ने आपकी सामाजिक सेवाओं का
समुचित आदर किया है । द्वाथरस में दोनेवाली प्रान्तीय मारवाड़ी
अग्रवाल महासभा का सभापतित्व इन्हीने प्रहण किया था । अखिल
भारतवर्षीय मारवाड़ी पंचायत का जो प्रथमाधिवेशन बम्बई में किया
गया था उसका सभापति इन्हीं को बनाया गया था । लक्ष्मणगढ़
( जयपुर राज्यान्तगंत सीकर ठिकाना ) में होनेवाले अखिल सनातन-
घमज़ुयायी माखाड़ी युवक-सम्मेलन के भी सभापति सेठजी ही थे ।
इन अधिवेशनों में दिये गये भाषण इनके धार्मिक तथा सामाजिक
विचारों के अच्छे परिचायक हैं ।
मंजरी की भूमिका तथा समालोचक श्रेमासिक हेमन्त १९८४
छर० १५७१-६०
१ साघुरी वर्ष ८ खराब २ संख्या ५ प्रृप्ठ ५८६-९२ और अछट्वार
मंजरी की भूमिका
२ द्विवेदी अमिनन्दन अन्थ और काव्यकल्पदूम ह्वि० सं०
पू० २२४०३
User Reviews
No Reviews | Add Yours...