का्य चिकित्सा | Kaai Chikitsa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(ट्) घ्पध्याय ७ चिविध व्वर विपम ज्वर १६६ टायफाइड श्रौर विपम ज्वर मे सप्त विघ ज्वर एवं विपम ज्वर श्रन्तर श्७६ मे भन्तर १६६. टायफाइड श्रौर इस्पलृएजा मे श्रन्तर एप० सन्तत ज्वर १९६७० अकच सन्निपात (गर्दन तोड़ ) सतत ज्वर १६८ ज्वर १्घ२ श्रन्येदुप्क ( एकाहिक ) ज्वर १६९. वातालिका (प्लेग) शपथ तृतीयक ज्वर १७०. वात बलासक ( वेरी-वेरी ). १८६ चातुथिक ज्वर १७१. रसादि सप्तघाठुगत ज्वर रुप चातुथिक विपर्यय १७२. प्राकृत विकृत ज्वर १८६ प्रलेपक ज्वर १७३ ज्वरो की साध्यता-श्रसाध्यता १६० विपम ज्वर चिकित्सा में ध्यान गम्भीर ज्वर श्ह्१ देने योग्य वातें श्७४ ज्वर के उपद्रव १8१ जी ज्वर १७५. ज्वर मोक्षण १९१ मस्वरक ( टायफाइड ) ज्वर १७८. ज्वर मुक्ति श्ट्१ू टायफाइड भोर टाइफस मे पुनरावर्त्तक ज्वर १९९ अन्तर १७६ ज्वर का सामान्य पथ्यापथ्य १६२ झाध्याय ८ श््तिसार वारण, सम्प्राप्ति व पुर्वेरूप १६३. उपद्रव २०२ वातातिसार-पित्तातिसार शलेप्मा- अ्रसाध्य लक्षण र्०२ तिमार - सन्निपातातिसार- साध्य लक्षण २०३ शोकातिसार १६४. श्रतिसार के श्रच्छा होने का शोकातिसार एव रक्तातिसार में लक्षण श०३े श्रन्तर १६४ प्रवाहिका २०३ आ्रमातिसार १६४. श्रतिसार व प्रवाहिका मे श्रत्तर २०४ चिकित्सा १९४. श्रामातिसार व श्रवाहिका मे नालश्र श (नाला उखडना ). २०२ झ्न्तर २०४ घ्युध्याय ६. व्वरातिसार न्विकित्सा २०७. पथ्य पर




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