अकबर | Akbar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.86 MB
कुल पष्ठ :
368
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रध्याय १ हेमचन्द्र हेम १ देव की स्थिति मगघ या पृवकी प्रमुठाये साथ माखतका इतिहास श्ारम्म होता हैं । परम पक हजार पप सफ मय बिहार भारतका रामनीतिक श्र सॉस्कृतिक पेन्द्र यहा | फिर ईसवी छीं १रवीं शतान्दीफ श्वन्ठ तक वेन्द्र मना जिसके वैमबफों लूटनेवाले छुोंने दिल््लीको पिशाल मासतीय रा्यफी रासघानी घननेका सौमाम्प प्रदान फ्या । तुर्क ग्रसाघारण लड़ाकू थे उनमें गनघकी एफवा थी । यह भी निर्विाद है कि इस्लामपे करदेने उनकी शक्तिकों दु्ुना फर दिया था | शैकिन यह समसना यवश्य मुश्किल है कि कैसे कुछ सैनिक मारतके इठने यहें मागपर अधिकार चमानेसें सफत हुए । बनसाधारण हृड्डी-मांसके देरसे अधिक मद्य नहीं र्यते यदि उनमें सैनिक-शसि शरीर एफता नहीं । उस समय इमारा देश श्षिफतर ऐसा ही था । घुशाम लिलमी भ्रीर ठगलफ वीन पुर्क राजवंशोंफे भाद॒दिल््सीकी शक्ति छिन मिस्र हो गई । मुसलमानेकि जौनपुर यंगाल भद्ममनी जैसे शक्तियाली कायम दो गये । दिल््लीके तुर्क जैसे धापनेगों एक मात्र इस्लामका पलममर्दार फह सकते ये वैसे यह छिम सिन्न दिल्लीसे भने मुस्लिम राज्य नहीं कह सकते ये | दिल्ली मासतफा इस्लामिक फेन्द्र रद्दी । दढ़े-चड़े घर्माचाय श्र श्यालिम दिल्लीके मे यद दिल्ली छोए़ दूसरेका समर्थन नहीं कर सफते ये । दिल्ली यदद यर्दारत फरनेफे लिये तैयार नहीं थी कि सौनपुर झादिके शासक शपनेकों थादशाद घोफ्ति करके दिल्लीको दिखलायें । दिल्ली नामपर ग्रपने भरडेके नीचे लकाकू देशी मुसल मानोंको पफक्रिस कर सकती थी । जौनपुर दिल्लीके सुकाचिलेमें ऐसा नहीं कर सफता था | उसने श्रौर उस्फी तरद दूसरी मुस्लिम सल्वनवोंने श्रपने मयबूत करनेफे किये पक दूरुर पाकि-योत दूँढ़ निकाला दम दिल्लीके विदेशियोंके खिलाफ हैं | मुसलमान दी नहीं दिन्दू भी मिल कर दम दिल्लीवे शझन्गाचारका सुकाप्ला करेंगे। शौनयुरने इस तर हिन्दू तरायारोंका रद्ाग लिया श्रौर उसकी शक्ति इसनी दो गा थी कि पक शताम्दीसे उपर तफ दिल्ली उसका झुसछ नहीं मिगाक सकी |
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