राजकीय अर्थशास्त्र | Rajkiya Arthsastra
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.86 MB
कुल पष्ठ :
700
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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श्रच्याय ३--भारत में बेरोरयारी की समस्या (ए०छि८फा ०६ एपथघाएरफुएपटैघ
उच्च घि्ेप्ड )
घ्राक्थत, बेकारी के वारण--(₹) विदास वार्ये नम की धीगी प्रगति ,
(९) भारतीय विदयविद्यातया से निरदसे दाले निक्षित व्यक्तियों की
सम्या से वृद्धि (३) उद्योग तथा व्यापार मे मन्दी, (४) व्यक्तिया की
गिरती हुई कय-गफ्ति, (४) लागता तथा मूल्यों मे समायोजन का झभाव,
(६) सपुक्तिकरण, (७) छरनी, (८) छाटे उद्योगों वो. क्षति, (६)
जमीदारी उन्मूनन तथा (१०) देश का विभाजन, इपि सम्बन्धी बेकारी ,
औद्योगिक क्षेठा से वेकारी , दिक्षित दम से वेदारी , रोजगार भर प्रथम
पच-वर्पीय योजना, रोजगार आर दूसरी योजना 1
पुस्तक--चौथी
ऑधथिक नियोजन (एटठएणश्सट लिरपएचट्ट)
ध्याय १--झाधिक नियोजन के सिद्धार्त (रपप्रठेशफ्डध४0315 0 ट०श0घ10
एा9चणाघड
प्राककयने ; झाधिक नियोजन की विद्येपताएँ, श्राथधिक नियोजन की
झावश्यवता करो? श्राधिक नियोजन के दग, झ्ाधिक नियोजन वे विभिन्न
रूप--साम्बवादी_तथा प्रजातन्तीय नियोजन ।
श्रच्याप २--भर्ष विकसित देशी में श्राथिक नियोजन की समस्यायें (2:0616 05
0 हिट०च०प०1८ खिघचण। हर्ट 9 एच6९1-८४८1०9४० ए०एघाथ5)
अर्भ विकसित देय का अर्थ , अर्थ विवसित देखो की विदेषतायं , विकसित
तथा श्रर्घ विकसित देगा से अन्तर, अध विकसित देवा को उपस्थिति के
कारण--सांसाजित वारण, रावर्नतिक कारण, श्राधिक सारण, भ्र्थे-
विकसित देशा से परयिक नियोजन यी समस्पायें, अर्थ मिकसित देशों में
निधोजन घिधि ।
श्ध्याय दे--भर्रविक दिवस सम्वन्धी ,वित्त व्यवस्था (कधघत्र9८6 छिह पिट०घ0-
स्णाट ए5एड00घ6पा
प्राक्कथन , श्राधिक विकास सम्बन्धी पूँजी के खोत, उनका सापेक्षिक
महत्व, भारत म? विकास. सम्बन्धी वित्त-ब्यवस्था--पहलो पचवर्पीय
योजना मे वित्तीय,_सात , दूनरो योजना मे वित्त श्रवन्थ ।
श्रच्याय ब--भारत में झाथधिक नियोजन हा प्रारम्भिक इतिहास (छ86%
ज्ाडाण् ५ छ८०्यणप1८ पिहचघाएड़ पा उचकेाय
प्ारम्मिक इतिहास, वम्वई योजना, जनता कौ योजना, गाँधीवादी
योनना, राष्ट्रीय नियोजन समिति, और युद्धोत्तर घुननिमाण समिति,
चर
श्द
रद
हद
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