एक अदना मल्लाह की पुकार | Ek Adna Mallaha Ki Pukar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
68.76 MB
कुल पष्ठ :
450
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रे घुलाई रोज की जाती हैं र इसमे लगभग दो घन्टे लगते हैं । आज मुझमें इतनी ताकत भी न रह गयी थी कि से इसमें भाग ले सकू । जब घुलाई का काम खत्म हो गया सफाई हो गयी श्रौर डोरिया श्रादि समेट ली गयी तो में डडो पर बंठ गया श्र नाइते के समय बजने वाली सात घन्टियो का इन्तजार करने लगा । मुभे इस तरह निकम्मे बैठे देख प्रफसर ने प्रमुख मस्तूल पर रायल शिखर से लेकर नीचे तक ग्रीज़ लगाने का हुक्म दे दिया । उस समय जहाज काफी हिल-डुल रहा था श्ौर मेने तीन दिन से कुछ नहीं खाया था इस- लिए एक बार तो मेरे मन में भ्राया कि उससे कहूँ कि नाइते के पहले में कुछ कर सकने की स्थिति में नही हूँ लेकिन मुझे मालूम था कि मुसीबत का सामना कर के ही उसे जीता जा सकता है शौर अगर मेने जरा भी ढिलाई या सुस्ती दिखायी तो में पानी नहीं मायू था । इसलिए मेंने चुपचाप ग्रीज़ का डब्बा उठाया श्रौर रायल मस्तूल शिखर पर चढ़ गया । जब श्राप डेक से मस्तूल पर ऊपर की और चढते हैं तो लीवर का झ्रालब होने के कारण ऊचाई के भ्रनुपात में जहाज का हिलना भी श्रघिक होता जाता है । इन जोरदार भटको श्रौर मेरी बदमिजाज़ी को दाह देती हुई ग्रीज की बदबू ने मेरा पेट फिर से खराब कर दिया श्रौर जब मे डेक के भ्रपेक्षाकृत समतल भाग पर झा गया तब मेरी जान में जान श्रायी । कुछ ही देर बाद सात घन्टियाँ बजी लाग लगा दिया गया पहरा नियुक्त कर दिया गया ध्ौर हम नाइता करने गये । यहा मुभ् श्रपने सीचे-सादे भ्रफ्ीकी रसोइए की सलाह याद आती है रब उसने कहा छोकरे तुम्हारे ५ट की भ्रच्छी तरह सफाई हो गयी हैं किनारे की गन्दगी का एक कण भी तुम्हारे भ्रन्दर नहीं रह गया है । श्रब तुम्हे नया रास्ता बकडना चाहिए--प्रपनी सारी मिठाई समुद्र मे फेक दो श्रौर समुद्री रोटी व उम्दा नमकीन बीफ के अलावा कोई चीज मत खाग्नो और से कसम से कहता हूँ हानें पहुँचने के पहले ही तुम्हारी ये पसलियाँ दीखनी बन्द हो जायेंगी प्रौर तुम भी दूसरे मललाहों की तरह हट्टे-कट्टे हो जाशोगे । जब यात्रियों को समुद्री बामारी हो जाय श्र वे बढिया-बढिया पकवानो श्रादि की बात करे तो उन्हे भी यही राय देनी चाहिए । आ्राघा पाउन्ड नमकीन बीफ श्र एकाघ बिस्कुट पर निभेर रहने से मेरे अन्दर जो परिवतंन श्राया उसका वर्णन करना मेरे लिए कठिन है । मेरी तो काथा
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