सांख्यिकी के मूल तत्त्व | Statistic Ke Mool Tattva

Statistic Ke Mool Tattva by कैलाश नाथ नागर - Kailash Nath Nagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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. जाता है । परिचय एवं परिभाषा... श्र [7 उपर्यक्त सभी परिभाषाओं के विवेचन से यह स्पश्ट हो जाता है कि अथंशास्त्रियों की माँति मे भी अपने विषय की परिभाषा के प्रश्न पर कितना मतभेद है । विभिन्न विद्वानों ने सांख्यिकी के विभिन्न पहलुओं पर जोर देते हुए भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ दी हैं । वास्तव में सांख्यिकी की उपयुक्त और आदर्श परिभाषा देना सरल कार्य नहीं है 1. फिर भी यह चिविवाद रूप से कहा जा सकता है कि सांख्पिकी के निम्न मूल तत्व हैं जिनका समावेश उसकी उपयुक्त परिभाषा में अवश्य होना चाहिए-- (0 सांख्यिकी विज्ञान तथा कला दोनों है 1 (0) सांस्यिकी ऐसे सामूहिक तथ्यों से सम्बन्धित है जिनको संख्याओं के रूप में ब्यक्त किया जा सकता है तथा जिन पर मनेक कारणों कां प्रभाव पड़ता है । (पं सांख्यिकी की झनेक रीतियाँ है जिन्हें प्रमुख रूप से चार श्रेणियों में वाँटा जा सकता है--अरथात्‌ सकलन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेपण तथा निवंचन । (४) सांख्यिकी का क्षेत्र व्यापक है । उसकी रीतियों का प्रयोग प्रत्येक विज्ञान में किया इन तत्वों के आधार पर हम कह सकते हैं कि सांख्यिकी एक विज्ञान व कला है जिसमें किसी अनुसन्घान-क्षेत्र से सम्बन्धित तथा विदिध कारणों द्वारा प्रभावित, सामुहिक संश्पात्मक तथ्यों के संकलन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेपण तथा निवंचन की रीतियों का विधिवद्‌ अध्ययन किया जाता है 1! सांख्यिकी का क्षेत्र तथा विभाग 209 ए प्राचीनकाल में सार्ख्यिकी का क्षेत्र अत्यन्त सीमित था । सांख्यिकी की उतपत्ति *राजाबों के विज्ञान के रूप में हुई थी । परन्तु आधुनिक युग में इस विज्ञान का क्षेत्र बहुत विस्तृत हो गया है । वास्तव में, प्रत्येक विज्ञान में एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में सास्धिकीय विधियों का काफी प्रयोग किया जाता है । यह कहना भनुचित न होगा कि 'सांस्पिको के बिना विज्ञान फलदायक नहीं होते आर विज्ञातों के बिना सांख्यिकी निराधार और निर्मुस है 1 की विधय-सामग्री को निम्न दो भागों में बाँटा जां सकता है-- (क) सांस्यिकीय रीतियाँ (518058081 (ख) व्यावहारिक सांख्यिकी (०6 । नि (कफ) सांहियकीय रीतियाँ- सांख्यिकी विज्ञान की अनेक रीतियाँ. हैं जिनके द्वारा किसी भी अनुसन्पान-क्षेत्र मे समंकों को एकन्रित कंरके उनका विश्लेषण किया जाता है और उनसे उचित परिणाम मिंकाले जाते हैं । जॉन्सन तथा के शब्दों में 'सांस्यिकीय रीतियाँ वे प्रक्रियाएँ हैं जो संख्यात्मक तथ्यों के संग्रहण, संगठन, संश्िप्तीकरण, विश्लेषण, नि्वंचन और प्रस्तुतीकरण में प्रयोग की जाती हैं 1 युल तथा कंर्डाल के अनुसार 'सांख्यिकीय रीतियों से हमारा अभिप्राय: उन रीतियों से है जो विविघ कारणों. से प्रभावित _ सख्यात्मक त्तृथ्यों का स्पप्टीकरण करने के लिए विशेष रूप से प्रयोग की जाती है ।'* 1 15 2 200 दा 871 फिट डप्रतीटड शीट 0 फाच्य्टा विन पंणा, 0 ते 0१ एएॉपंएट ८305८5 बाप हा ऊँ 5फ़ैश्टाट 0 वापुपीऊ, .. स्व 00( 5६ 9िटिडा पिणां।, भरे! इलेलाल्टड विवश 00 1001, १ घालफ0ठड 806. (८ फ़ा०्०्ल्ठप्राइड की पट एणल्टप०0, 00, था 200 0 38. हाएँ 180६ 0० 1० ऊविजाटिवों छ. 7. * छिज टफीएसंड भट एटा घाट 2041० 10 पट एव पण्यणजंश्ड एड छल 2 प्पपरिकिटा 0 इतर अंत ०1९ दा 9. अं,




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