सिद्ध वनौषधि चिकित्सा | Sidh Vanoshdhi Chikitsa

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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.... लक्षण जानवर छुस्त होता दे । झुण्ड के सच जानवसें से अलग खड़ा पता है | चलते हुए जानवर्रों में सबसे 'पछि रूंगड़ात्ता हुआ चलता दिखाई देता दे | चारों पेशी से जहीं लंगड़ाता है वहाँ सूजन दिखाई देती है। सूजन को दबाने से “चर चर” आवाज़ आती है । जानवर ज्दी ब्वास लेता है, तेज ज्वर मी होतां है । जानवर दौत पीठता मं | व्मक्सर २४ घण्ट म जानवर मर जाता इलाज १. कांस के फूल २० तोला पानी ८० तोला कांस के फूलों को चारीक पीस पानीमें मिला सेगी जानवर को पिलाना! चाहिए । इस प्रकार इसी मात्रा में दिन में ३०४ बार पिलाना | २, तेन्दू फल एक पूरा फल हलदी ५ तोला सत्यानाशी ५ तोला छाछ १२० तोल ' आपामार्ग (संगा) अतिझाड़ा ५ तोला इन सच को बारीक पीस दिन में तीन बार पिछाना चाहिए | खान-पान जानवर को इलकी, पतली भीर पोषक खुराक देना चाहिए | मुलायम घास एवं चौंवल का माण्ड आदि खाने में देना चाहिए संगी को अन्य जानवरों से बिल्कुल अलग रम्वना चाहिए | गलघोटटू कारण--यद एक रक्त-विकार की बीमारी है । नौजवान इ रंग अधिक होता दे । जो जानवर नदी नालों की तराइयों में हुई सड़ी गली घास खा जाते हैं उनहों यदद रोग जल्दी दोता दे | / यु र्मे पे




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