रघुनाथ भगवद्गीता | Raghunath Bhagvatgeeta
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
103.19 MB
कुल पष्ठ :
469
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand).50फस्क फर्क टपसएपर्यापॉिटपॉस्यरपस््रॉडपस्लरेडर्टफर्ड ४ १ श्री रघनाथ भगवदुगोत अध्याय १ किमी अति कक कल अभतजिसिवतीविकरिदत चोपाई त विध धूम मची सह्टन की । शान्त गई सब ही के मन को ॥२९७॥। कार्य दिखण्डी और विराटा । दृष्टटुमन अर सात्यक राजा ॥ पद पुनः सब बेटे ता के । सोमद्रा सब फ्रक बाज ॥२६। सहन ने वुह धूम मचाई । ऐथ्वी नम ने गूंज उठाई ॥ सुन कर कौख सब ही दृ्ठिठि । हार गये मन में बुदद पढ़िठे ॥२७१। कॉपत कॉँपत दास उठाये । कोरव सेना ने फिर आए ॥। आगे आगे तीर चलाने । पाण्डव सेना दूर भगाने ॥२८॥। अर्जुन ने जब ऐसा देखा। और सामने सब को पेखा ॥। तब कंपष्वज अपना चढ़वाया । धनुष धार चेतन हो आया ॥२९॥ ऐस. अवस्था माही -उस ने । सिर माधव पद ऊपर धर के ॥। | नमन भूत हो आज्ञा ठीनी। और वेनती उन को कीनी ॥३०॥। पथ 2फ्प्य दफा तर य्ड 2 ९ ७१ सा ट कप क्र ड # पॉप 96 प्र५प्कर 26565 फट 26 पॉरि डत पड के ्ु डी स रच पक अजुंन उवाच हे चौपाई भ हे अच्यत रथ अगर चलाएँ। दो सेना के मध उठराएँ ॥ द जाँसे देख सकँ में नीको । सेना रिप की अर अपनी को ॥ ३ १॥। ि देखा चाहूं.. कौख सेना। जिन सँ मेरा लेना देना ॥। ने जा देखूं में तिन को । दुरयोधन चमकाया जिन को ॥द२॥ हू दुस्योधन की ममता कारन । कठन युद्ध सब ने की धारन ॥ 2 तट मार तिनकी है रीती । वेर ढेष में उन को प्रीती ॥३३॥। नस्टफॉर्ड 25 पद टफस्ड एफ फ़ल्ड एपरिया/ एफ 2टफर्क लए रयं 2 इन की 5 ४. टी. न
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