बिहारी सतसई सटीक | Bihari Satsai Satik
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.94 MB
कुल पष्ठ :
266
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand).बिह्ारीसतंसई ,सट़रीक । 5
: मदकंल अक्षर ३५. गुरे १३ लघु २३ ॥- , £ पा
दो: बहुके सब जिय की कहति, ठौर कठोर लखे मेने
छिन औओरे छिन आओरे से, ये छबिछाके नेन ४६
यह नायिका लक्षिता सखी नायिका सो कहति है । जो नायक सो
कहे तो थिरताह्ट होय ॥ संवैया ॥ देखत नाहिं' ने ठौर कुनैर रहे जिंतह।
तित चाह चके हैं । शरर' घरी पल रही दीसत झुमत' श्यारस में
थक्के है ॥ लाज तजे शिथिलाइ गई अपने बश. ' नाहिंन यों बहके है ।
देत कह्दे* जिय की सब बात बिलीचन तये छुबिछाक छुके: है ॥ ४६ ॥
थे मराल अक्षर ३४ गुरु १४ लघ २० || कर
दो०'नांव सनत ही .ह्लेगयो, तन ओरे मम ओर |
दबे नहीं चित चढ़े रद्यो, अबे चढ़ो है त्योर २७
' यहद नायिका सखीसो रिसे के मिस किक स्नेह दुरावति है। ये नाव
सुनेतें चित्तकी रीति अरु क्रिया औरहदी भांति मई यातैं सर खीने नीके क्रि
जानी | नायिका लक्षिता सखी को बचने नायक॑ सो ||,संवैया ॥ नंबर सनेहीं
भयो मर्न औरही औरे भयो तन चेतन नेरै । नेह की रीति यहै नवनागरि
(५१५९३,
नेंकलग निबरे न निबेरे ॥ क्यों हमते सतराय बिलोकति होत 'कंहा श्रब त्योरी
4७ भें»
तररे । ऐसे किये कहि कैसे दुरै हरि प्यारेको प्रेम चब्यों चित तरें ॥४७॥।
_ ''. * चल चार २७ गुरु ११ लघु ६ ॥,
ननय.. बलया न
रह
12
्ै नं?
७
० रहि मुँह फेर किहेर इत, हित समुकों चित नारिं ।
1 हर
' _' -डीठिं परस उठि पीठि के;-पुलके कहेँ पुकारि 8:
स्यह्द नायिका -परकीया है सखी देखत पीठि दे बेढ़ी उदुरायुने फौ
रोमांच ' पीठ पै भये ते देखि सखी- कहति .नायिका,लक्षिता | ,कवित्त2॥,
हितकों निरखियतु. हरषे दितू को मनु हमतों घरधोडई तनु-प्रेम की प्रतीत,
को । तिन्है तू भुरावति है बात बहरावति है काह़े को दूरव॒त, कूबेली नेडू
््झि
User Reviews
No Reviews | Add Yours...