Kaamaayani by जयशंकर प्रसाद - jayshankar prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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.हिम निरि के उत्तुंग शिखर पर बैठ शिला की. शीतल छह एक पुरुष भीगे नयनों से देख रहा. था... अलय प्रवाह / नीचे जल था ऊपर हिम था एक तरल था एक सघन एक तत्व की ही श्रघानता कहीं उसे जड़ या चेतन ॥। दूर दूर तक विस्तृत था हिम स्तब्घ उसी के हृदय समान नीरवता-सी शिला चरण से टकराता... फिरता.. तरुख॒ तपस्वी - सा वह बैठा साघन करता सुर - श्मशान नीचे तलय सिंघ॒ लहरों का होता था. सकरुख अवसान | उसी तपस्वी-से. लम्बे थे देवदारू दो... . चार. खड़े हुए हिम-घवल जेसे पत्थर बन कर छिठुरै रहे अड़ |




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