सूर्य भेदन व्यायाम | Suray Bhedan Vyayam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| अधॉगमणिपातासन 1 (5५) झारीर सुडौल चनता है । योग्य आहार चिहार के साथ इस च्यायाम को करनेसे बुढापर्सभी जवानीका अज्ुमच होता हे । यह घात अन्ुसच की हैं, इस लिये इसमें यर्किंचित्‌ भी अत्यु- कि नहीं है । सैकड़ों मजुष्यों पर इसका अनुभव देखा हैं । इस लिये हरए्क पाठक निवेदन है कि चह इस झूर्योपासना के अन्नुछ्ठानसे अपना आरोग्य शआप्त करें । इस व्यायाम को करनेका समय प्रातः काल हैं । स्योदय के समय श्रारंम कर के आठ चजे तक १२०० सधभिदी व्यायास हो सकते हैं । इस समय इस के रुरनवाले यहां सहसरों हैं और हरएक को इस से लाभ छुआ है । खी ओर पुरुपफा यह व्यायाम करने योग्य हैं। इसके रये उत्तम घुद्ध और रमणीय स्थान प्रशस्त है, जहां प्रातः कालके सय किरण आते हां, ऐसा स्थान इस व्यायाम के लिये सर्चो- है । प्रातः काल के सये किरणेंमिं यह व्यायाम करनेसे यहतही लाभ होता हैं । कमरेमें करना हो, तो उस कमेरका चायु शुद्ध रहे और उससे उपासनाके लिय योग्य ही पद।थ हों और अन्य पदार्थों की खेंचाखेंच न हो । इरएक अवस्थासें यह व्यायाम लाभदायी होता है, परंदु ग्रारंमसें अभ्यास थोडा थोडा करके यथाक्रन थोडा थोडा अपनी थक्तिके अनुसार चढाना चाहिये । अ्रस्थेक व्यायास अपनी शक्तिके अछुसार ही करना चाहिये, कदापि आपेक् न्टे




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