आर्थिक विचारों का इतिहास | History Of Economic Thought

History Of Economic Thought by एच. आर. गोदारा - H. R. Godara

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| आर्थिक विचारों का इतिहास रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है 1 'कला' जीवन को पूर्ण बनाती है और मानव को अथाह सुख एव स्वर्गीय आनन्द प्रदान करती है । आर्थिक िचारो का इतिहास भी कुछ ऐसा ही है । जब आर्यिक सस्थाओ के उत्पति सोती की थोज मे कोई पाठक आर्थिक विचारों के अथाह सागर मे गोते लगाता है तो जैसे-जैसे वह गहराई मे बैठता जाता है, अपने पूर्वजों के कार्यों के बारे मे अधिकाधिक जानकर सुखानुभूति करता है । इसकी विषय-सामग्री का अध्ययन सगीत की लय के समान है जिसमे पाठक आत्मदिभोर हो जाता है। 4. क्या यह विज्ञान और कला दोनों है ? (1591 9 501ध10€ कराते 21 ते 0011 7)7% उपर्पुक्त विवेचन से, सहज ही मे, यह निष्कर्ष दिया जा सकता है कि आर्थिक विधारो का इतिहास विज्ञान (यथार्थ विज्ञान एवं वास्तविक विज्ञान दोनो) एवं केला दोनो है । कुछ आशका व्यक्त कर सकते है कि “कला” मान लेने अथवा आदर्श विज्ञानरूपी स्वरूप स्वीकार कर लेने से यह तर्क-वितर्क के भैवरजाल में फस कर अपने विकास का मार्ग अवरुद्ध कर लेगा । किन्तु, यह आशका निर्मूल है । इसके विज्ञान एव कला सम्बन्धी स्वरूप एक दूसरे को पूर्ण बनाने मे सहायक होते है । अत इनमे किसी प्रकार का पारस्परिक विरोध नहीं है । एक अन्य आधार पर भी इसके दोनो स्वरूप स्वीकार किये जा सकते है ! इसके अनुसार यथार्थ विज्ञान के लोक एवं आदर्श विज्ञान के लोक के बीच शूत्य नहीं है, बल्कि “कला लोक' है । अत. कला लोक अथवा कला यथार्थ विज्ञान एवं आदर्श विज्ञान की विषय-सामग्री एवं क्षेत्र को जोड़ने मे एक पुल का कार्य करती है । वास्तव मे, क यथार्थ विज्ञान के लोक की समाप्ति से पूर्व एव आदर्श विज्ञान के लोक के आरम्भ होने से पहले ही शुरू हो जाता है। अत आर्थिक विचारों के इतिहास की प्रकृति के सम्बन्ध मे यथार्थ विशान, आदर्श विज्ञान एठ कमला सम्बन्धी तीनो ही पक्ष सजबूत है | उपर्पुक्त विवेचन के साथ-साथ आर्थिक विचारों के इतिहास की मूलभूत प्रकृति सम्बन्धी निम्नलिखित बिन्दु भी उल्लेखनीय है- ३. तीन काल (९९ :« आर्थिक विचारों के इत्तिहास के तीन सुनिश्चित एव सुपरिभापित काल-प्राचीन युग, मध्य युग एव आधुनिक युग है। सामान्यतया ईसा पूर्व की अवधि को प्राची युग माना जाता है जिसमे भारतीय (कौटिल्य) एव यूनानी चिंतको (सुकरात, प्लाटो, अरस्तू आदि) के विचारों की सम्मिलित किया जाता है । आधुनिक युग मुख्यत सन्‌ 1776 ई के पश्चात्‌ का युग है जिसमे आधुनिक अर्थशास्न का विकास हुआ है । इग दोनो के बीध की लम्बी अवधि को मध्य युग के नाम से जानी जाता है । इसके अतिम चरण मे प्रकृतिदादिपों एव वाणिकवादियों के आर्थिक विधार विशेष रूप से उल्लेखनीय है । इतिहासकारो ने अब तक आर्थिक विचारों के इतिहास को लगभग 2500 वर्षों का इतिहास ही माना दै ! किन्तु, जैसे-जैसे विश्व की




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