कुवलयमाला - कथा | Kuwlay Mala Katha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.46 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)॥ अहम ॥
॥ न्यायाम्भोनिधिश्रीमदिजियानन्द्सूरी श्वरपादपचेभ्यो नमः! ॥।
श्रीमद्लघ्रभसूरिविरचिता
कृवठयमाठाकथा ।
नरम,
आदित्यवर्ण तमसः परस्तादस्तान्यतेज:प्रचयप्रभावम् ।
यमेकमाहु: पुरुष पुराण, परात्मदेवाय नमोस्तु तसै ॥ है ॥
लोकाठोकलसद्धिचारविदुरा विस्पष्टनिः श्रेयस-
द्वार: स्फारगुणालयखिभुवन स्तुत्यांदिपडेरुह ।
शाश्चद्विश्वननीनघर्म विभवों विस्तीर्णकल्याणभा
आधोड्न्ये5पि मुदं जनस्य ददतां श्रीती्थराज श्विरम् | २ ॥
गोभिरवेंतन्वन् कुमुदं विमुद्र, तमःसमूहूं परितः क्षिपंश्व ।
ददातु नेत्रद्वितियप्रमोद॑, श्रीज्ान्तिती थोधिपतिररंगाक: ॥ ३ ॥
शिवाय भूयादपुनर्भवाय, शिवाज्ञजन्मा स शिवालयों वः ।
जन्मप्रभृत्येव न यस्य कस्य, त्रह्नत्त॑ं विश्वतमेतदत्र ॥ ४ ॥
अष्टमूर्तिरिव भाति यो विभुन॑त्रनागमणिराजिबिस्बितः ।
द्पकोपचितिविच्युतिक्षमः , क्षेममेष तनुतां जिन: स वः ॥ ५ ॥
यन्नाममन्त्रवशतो 5पि दरीरभाजां,
नद्यन्ति सामजघटा इव दुष्कतौघा: ।
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