पंचतन्त्रम | Pancha Tantram

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Pancha Tantram by पं ज्वालाप्रसाद मिश्र - Pn. Jvalaprsad Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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॥ श्री ॥ अथ | भाषाटीकासहितम्‌ । 2 ब्रह्मा रुद्र कुमारो इरिवरुणयमा वह्िरिन्द्र कुबेर श्न्द्रादित्यों सरस्वत्युद्धियुगन गा वायुरूदी । सिद्धानयोध्खिनों मातरश्रण्डिकाय्या बदास्तीर्थानि यज्ना गणवखुसुनयः पान्ठु नित्यं अहाश्र१॥ मया उ्वालाप्रसादेन नमस्कृत्य गंजाननमू। क्रियते पथ्चतंत्रस्य भाषाटीका मनोंरमा | दोहा-शाभु शिवा रघुपति सिया बन्दों एवनकुमार 1 कृप। करह जन जान मो गुणागार छुखसार | ब्रह्मा शिव कार्तिकेय विष्णु वरुण यम कुबेर चन्द्र सूर्य सरस्वती सागर चारोंयुग पर्वत वायु पृथ्वी वासुक्षि भादि सर्प कपिछादि सिद्ध नदी अश्विनीकुमार दिति कश्यपपत्नी अदितिके पुत्र देवता चण्डिकाआदि मातायें वेद कक यजु सम अयबे ततीथे पुण्येक्षत्र कार्शा आदि यज्ञ दे पौणमासादि गण प्रमथादि व आठ देव सुनि व्यसादि 9 प्रह्द सूर्यादि नित्य हमारी रक्षा करें | स़ग्वरा छन्द है ॥ १ ॥ मनवे वाचरपतये झुक्राय पराशराय समसुताय । चाणक्याय च विडुषे नमोण्स्त नयशाखक्तूम्यः ॥२॥ स्वायम्भू मनु वहह्पति शुक्र सपुत्र व्याससहित . पराशर पण्डित चाणक्य और नीतिशाख्रके वचानेवाछोके निमित्त नमस्कार है ॥ २ ||




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