साधू की चुटकी | Saadhuu Ki Chutki

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Saadhuu Ki Chutki by अमोल चन्द्र शुक्ल सोमरस - Amol Chandra Shukla Somras

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ द्रव्य यन्तड़ियों में झा जाता है। अन्तड़ियां उसमें से झपना भाग खीच कर को मल बना कर बाहर निकाल देती हैं । अर्थात्‌ भोजन का रदी भाग निकालना इनका काम है. अप आप ही सोचिए कि यदि यह मांगे थ्वरुद्र दो जाय तो श्रामाशय में कितना दूषित द्रव्य इकट्ठा हो जाय ? श्र फिर वही बिधिध रोगों को पैदा कर दे कहने का श्रमिप्राय यह है कि श्रस्तड़ियां भी हमारे में मिशिष्ट महत्व रखती हैं। कभी २ छुछ कारणों हे दूषित भोजन इनमें रुक जाता है जो कि भांति २ के पैदा करके मनुष्य को रोग ग्रस्त कर देता है । फलस्वरूप प्रवाहिका मरोड उदरशल संग्रहणी कोष्ठ- बद्धता झादि रोग उत्पन्न दो जते हैं । अत श्रन्तटियों की रक्षा करना अति आावश्यक है । वृवक तथा मूत्राशय--शरीर के वे भाग हैं जिनसे होकर मत्त पाखाना तथा मूत्र बादर निकलते हैं । इन मार्गों में झवरोध अथवा कोई रोग उत्पन्न हो जाता बड़ा ही भयकार सिद्ध होता है । प्राय लाग झालस्यवश श्रथवां किसी काय में संशग्न होने के कारण मश व मूत्र की इच्छाओं को रोके रहते हैं । यह भ्रादत बड़ी ही खतरनाक है। और ऐसा व्यक्ति कभी सस्थ व निरोग नहीं रह सकता । बता यदद बात सर्द स्मरण रखनी




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