महाराजा | Maharaja
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.16 MB
कुल पष्ठ :
352
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१. महाराजा का ए
उनका नाम थाना
कनेत हि हाइनेस फ्जन्द-ए-दिलबन्द, . दौलत
इंग्मीशिया, राजनए“राजगान, महाराजा सर रनबीर सिंह राजेस्द बहादुर, जी०
“सी० भ्राई० ई०, के ० सी० एस० वर्गरह ।
से बय बहरे थे । उन्होंने ४५ साल को पक्की उम्र पाई ।
रन्दोंने भ्रपती हुकूमत को 'सुगहुली जुदली' मनाई !
उस मोक़े
'भारत सम्राट, इंग्लैंड के बादशाह ने उनके ऊँचे ख़िताव श्रोर तमगे भेंट
रियासत भौर भारत की खिदमत के एवश में नही- बहिक
ब्रिटिश हुकूमत भौर विदेशी सरकार को भोर काक्लिन्तारीफ
भ्रंजाम देने के ददले में !
महाराजा रात को काफी देर में सोते थे । उनका क़ायदा था कि प्रगले
दिन शाम को ४ बजे उनकी मींद टूटने का जब वत़त हो, तब उनकी श्रप्रेस महा
रानी होरोधी भीर महल की रानियाँ हल्के-हत्के उनके पैर दवा भौर धीमी
मगर सुरोनी भ्रावाज्ध में गीत गाती रहे । जागने पर महाराजा को 'बेड टी
देश की जाय ।
महाराजा कुछ वहमी भादत के थे । रात को रोज सनका जारी
होता था कि भाँयें खुलने पर सबसे पदले महल की फ़ला-फलं रानियं उसकी
नजरों के सामने पढ़ें । उनको यकीन था कि भ्रगले २४ घटे राखी-सुशी
गुज़ारने के लिए यहे इन्तज़ाम जरूरी है 1
इसके, श्रपते ज्योहिपी पंडित करनचन्द के साथ जन्मपत्र शरीर
ज्योतिष के ग्रत्य खोले हुए महाराजा घंटों बैठ कर पहले से हो विधार किया
करते थे कि किन-किन नामों वाले सोगों को श्रगले रोज पहली मुलाकात में
गे पेश किया लाय |. '
महाराजा के भारामगाह के बाहर उनके प्राइम मिनिस्टर, सर विह्वारीलाल,
र्पास्तत के ' होम मिनिस्टर पढित राम रतन, साथ में दुसरे मिनिस्टर लीग
श्र वर्दीधारी ए० ही० काँग (अंगरक्षक] व्गरह हर रोज खड़े-खड़े, महाराजा
के सो कर उठने का इन्तज्ार किया करते थे ।
महाराना का सदेल 'ऋषि-कुटी' कहलाता था 1 उसे 'गावंदान” थी कहते
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