महाराजा | Maharaja

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Maharaja by दीवान जरमनी दस - Deevan Jarmani Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१. महाराजा का ए उनका नाम थाना कनेत हि हाइनेस फ्जन्द-ए-दिलबन्द, . दौलत इंग्मीशिया, राजनए“राजगान, महाराजा सर रनबीर सिंह राजेस्द बहादुर, जी० “सी० भ्राई० ई०, के ० सी० एस० वर्गरह । से बय बहरे थे । उन्होंने ४५ साल को पक्की उम्र पाई । रन्दोंने भ्रपती हुकूमत को 'सुगहुली जुदली' मनाई ! उस मोक़े 'भारत सम्राट, इंग्लैंड के बादशाह ने उनके ऊँचे ख़िताव श्रोर तमगे भेंट रियासत भौर भारत की खिदमत के एवश में नही- बहिक ब्रिटिश हुकूमत भौर विदेशी सरकार को भोर काक्लिन्तारीफ भ्रंजाम देने के ददले में ! महाराजा रात को काफी देर में सोते थे । उनका क़ायदा था कि प्रगले दिन शाम को ४ बजे उनकी मींद टूटने का जब वत़त हो, तब उनकी श्रप्रेस महा रानी होरोधी भीर महल की रानियाँ हल्के-हत्के उनके पैर दवा भौर धीमी मगर सुरोनी भ्रावाज्ध में गीत गाती रहे । जागने पर महाराजा को 'बेड टी देश की जाय । महाराजा कुछ वहमी भादत के थे । रात को रोज सनका जारी होता था कि भाँयें खुलने पर सबसे पदले महल की फ़ला-फलं रानियं उसकी नजरों के सामने पढ़ें । उनको यकीन था कि भ्रगले २४ घटे राखी-सुशी गुज़ारने के लिए यहे इन्तज़ाम जरूरी है 1 इसके, श्रपते ज्योहिपी पंडित करनचन्द के साथ जन्मपत्र शरीर ज्योतिष के ग्रत्य खोले हुए महाराजा घंटों बैठ कर पहले से हो विधार किया करते थे कि किन-किन नामों वाले सोगों को श्रगले रोज पहली मुलाकात में गे पेश किया लाय |. ' महाराजा के भारामगाह के बाहर उनके प्राइम मिनिस्टर, सर विह्वारीलाल, र्पास्तत के ' होम मिनिस्टर पढित राम रतन, साथ में दुसरे मिनिस्टर लीग श्र वर्दीधारी ए० ही० काँग (अंगरक्षक] व्गरह हर रोज खड़े-खड़े, महाराजा के सो कर उठने का इन्तज्ार किया करते थे । महाराना का सदेल 'ऋषि-कुटी' कहलाता था 1 उसे 'गावंदान” थी कहते अप




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