हिंदी प्लीडिंग | Hindi Pleading
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23.07 MB
कुल पष्ठ :
686
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)11
निणुय देगा 1 *
ऐसे सब संशोषन जिनसे कोई 'अनुचित तथा श्वनावश्यक भार यिरुद्ध
पक्त के ऊपर न पड़े आज्ञापित कर देना चाहिए और केबल वही संशोधन
जिनकी चतिपूर्ति हरजाने से न हो सके, इन्कार करना चाहिए ।”* जहाँ चादी
सम्पति में कोई अमुक छंश की स्वत्याचना करता हो, इस चात का संशोधन
कि वह सम्पत्ति का स्वामी था श्ाज्ञापित कर देना चाहिए क्योंकि इससे बाद
का स्वाभाव नहीं वदलता 17
न्यायालय को संशोधन कराने की पृण शक्ति केवल कुछ ही निवेन्धरनों
टीरलडपटपणाज के साथ होनी चाहिए । एक तो निंवन्धन यह है कि एक चाद-
मूल के लिए दूसरा चाद मूल स्थानापन्न (50506 न करने देना
चाहिए शोर दूसरा यह कि जहाँ संशोधन का प्रभाव प्रतिवाद़ी का समय
काल की गति से उत्पन्न कोई कानूनी अधिकार रद्द करना हो, तो वैसा
सशोधन न करने देना चाहिए 17” जहदों वाश्-पत्र का संशोधन केवल
शब्द (1ाए।(60े) लिमीदेड प्रतिवादी कम्पनी के नाम से हटाने के लिए इस
्ाशय से हो कि चाद नीतिं के विरुद्ध माना जाय तो ऐसा सशोधन 'आज्ञापित
कर देना चाहिए क्योंकि वह केवल प्रतिवादी का तुटि वर्णन है । १.
(पं) ठैताउहशवेशाड्या: (0० 561. पूछ परंटन# (856,
नवीन वाद स्थापित करने के लिए संशोधन
जहाँ पत्नी ने स्यागने के 'ाघार पर भरण पोपण के लिर वाद चलाया
हो और दौरान मुकदमा पति ने दूसरा विवाह कर लिया हो पत्नी अपने वाद-पत्र
को इस घटना को सम्मिलित कपने के लिए संशोधन कर सकती है छौर
न्यायालय दौरान मुकदमा में घटित घटनाओं पर, मुकदमे में ही नहीं परन्तु
झील की दशा में भी विचार कर सकता हे ।”” कानूनी सिद्धान्त के
अनुसार ही संशोधन को शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए । ऐसा संशोधन
जो एक नवीन वाद स्थापित करने के लिए हो जिससे पक्षों के वीच कगडे का
मूल रूप परिवतंन हो जाय ्राज्ञापित नहीं किया जा सकता 1?
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