कल्पित इतिहास से सावधान | Kalpet Itihas Se Savadhan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.69 MB
कुल पष्ठ :
223
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)11
हाथ में डण्डा पकड़ा । डण्डे को देखकर सिखारो डरने लगे । इस भाति इन्होने धर्म
को कलेकित कर डाला ६ दे£ 3.६ २.६
श६४६ जी पालीताचार्य सौ देश मे पधारे । तब साधघुओ का
पत्ति आचार देखकर उन्हें समझाया ।
समझे । ८६ 22६ 22६
२६ २०६ 35६ इन्होंने ( शिथिलाचारियों ने ) अपनी पुजा के लिये
चॉतरा, चेत्य, पगल्या, म्दिर, वेहरा बधघवाये । अलग-अलग गच्छ बधी करी ।
धर्स के ढोंगी बने । डे ६ 30६
परन्तु मिथ्यात्व के उदय न
२८६ 32६ ६ जाचायें, ऋषि, सुनि, आदि शब्दो को सोडकर विजय,
सुरि; प्यास, थंति जादिं शब्दों को जोडने लगे । 2६ 32६ 30६
स्थानकपथी भ्राचायें हस्तीमलजी ने उक्त ६ु स्साहस पूर्ण
झक्षेप इवेताम्बर भूतिपूजक जेना'वायों श्राधदि पर किया है । इसके विषय
मे इवेताम्बर मूतिपूजक समाज को जो भी उचित हो करना शाहिए एव
जैन समाज की एकता के प्रेमी ( 1 ) “जेन इतिहास समिति” ([ लाल
भवन, 'चोडा रास्ता, जयपुर-४३ ] पर घिरोघ सूचक पत्र भी लिखना
चाहिए ।
इष्टी श्राचायं हारा रचित छूसरी पुस्तक “जनधमं का
मौलिक इतिहास भ्ोर ९” है, जिसमे भी ऐसी ही साम्प्रदायिक
कदुता उभारने वाली भ्रौर शास्त्र निरपेक्ष मनघडत बातें भरी पड़ी हैं ।
इनके इतिहास की कल्पित श्रौर मूठ कुछ बातें प्रस्तुत हैं ।
सगर चनत्रवर्ती के ६० हजार पु्नो की झष्टापदजी तीथेंरक्षा
मे मौत हुई थी, इस पर ने लिखते हैं कि--
र६ ६ २६ संभव हे, पुराण से शतारवमेधी की कामना करने थासे
सपर के थज्ञारव को इन्द्र द्वारा पाताल लोक से कपिलमुनि के भाश बाधघने
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