इंटरनेट का युग | Internet Ka Yug
श्रेणी : समकालीन / Contemporary, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.8 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)15
अब आएगा नया इंटरनेट
रस अथवा 24 गिगा विटूस प्रति सैकेंड की गति से सचालित करने की
ता जुलता नेटवर्क यूरोप में भी शुखू किया गया है। शुरू में 3 4 करोड बिटस
। गति से काम करने वाला टेन 34 नामक यह नेटवर्क आगे चलकर 15 5
की गति से दौड़ने लगेगा। नए नेटवर्कों का उद्देश्य मात्र सूचना सप्रेषण की
1 सहीं है चल्क्रि नया नेटवर्क वर्तमान नेटवर्क की सीमाओं और कमियों को
लिए समाधान भी प्रस्तुत करेगा। इसका उद्देश्य ऐसी व्यवस्था करने का है
सूचनाओं के पैकेट नेटवर्क पर तेजी से आगे बढाए जा सकें। इटरनेट पर
बढती भीड को देखते हुए इटरनेट 2 जैसे हाई स्पीड नेटवर्क के जरिए इन
स्थायी समाधान दूढने के प्रयास किए जा रहे हैं।
; क्षेत्र में भारतीय स्थिति
इन्टरनेट का आधिर्भाव या सूत्रपात 1969 में हो घुका था लैकिन इसका
4 से अधिक घढा और भारत में इसका प्रवेश 1995 के आस-पास माना
गले पहल भारत में इटरनेट सेवा एजुकेशन एण्ड रिसर्च नेटवर्क द्वारा
यी गयी थी किम्तु बाद में 1995 से यह सेवा वी एस एन एल अर्थात
निगम लिमिटेड द्वास उपलब्ध करायी जाने लगी। शुरू- शुरू में यह
। दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों में ही उपलब्ध थी और केवल 32,000
का लाभ उठा पा रहे थे। परतु अगस्त 1995 में जब इटरनेट सुविधा
User Reviews
No Reviews | Add Yours...