नीड़ का निर्माण फिर | Need Ka Nirmad Fir

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Need Ka Nirmad Fir by हरिवंश राय बच्चन - Harivansh Rai Bachchan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ नीड़ का निर्माण फिर लिए ? कौन बताए ? कभी होंठों की हरकत से ऐसा लगता कि. मुक्त कह रही है कभी लगता कि मुझे बुला रही है सफ़ारिंग सफफ़ारंग । केवल दो बातें स्पष्ट हो सकीं-- मेरे संदूक में गत्ते का एक बक्स है उसे मुक्त को पहुंचा देना मेरे काराज-पत्तर मेरी सब चीजें मेरे साथ जला देना । श्यामा की ऊध्वं श्वास आधी रात तक चलती रही । उस श्रंधकार में डूवे तब उधर बिजली की लाइन नहीं आई थी सुप्त-मौन मुहल्ले के एक घर के एक कमरे की एक चारपाई से उठता हुआ वह साँसों का स्वर कितना तीव्र लगता था. लगता था जैसे कोई आरे से मुझे चीर रहा है । कभी सोचता हूँ कि जो भी जीवन में करुण है कातर है रहस्यपूर्ण है रोमाँचकारी है वह प्राय आधी रात को ही बयों घटित होता है । साहित्य में तो इसके सेकड़ों साक्ष्य हैं । हैमलेट अपने मृत पिता की प्रेतात्मा को आधी रात को देखता है। मकबेथ राजा डंकन की हत्या आधी रात को करता है । रोमियों आधी रात को जूलियट के शयन-कक्ष में पहुँचता है । फ़ाउस्ट के आगे मेफ़िसटो- फ़ेलीज़ शैतान उसके स्वाध्याय-कक्ष में आधी रात को प्रकट होता है जिसके हाथ वह अपनी आत्मा का विक्रय करता है । कुमार सिद्धार्थ आधी रात को गृह-त्याग करते हैं । । राम आधी रात को लक्ष्मण के मुच्छित शरीर को हृदय से लगाकर विलाप करते हैं अधे राति गइ कपि नह आयउ । राम उठाइ अनुज उर लायउ ॥ दशरथ राम के वियोग में आधी रात को हष्टि-शून्य होते हैं अधेरात्रे दशरथ कौसल्यासिदसब्वीत्‌ । न त्वां पश्यामि कोसल्ये साधु मां पाणिना स्पृश ॥। आधी रात को ही उन्हें श्रवणकुमार को अनजाने शर-बिद्ध करने की बात याद आती है । अधरात्रे दशरथ दुष्कृत॑ कृतम्‌ । नी-१




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