विमल कीर्ति निर्देश सूत्र की भूमिका | Vimal Kirti Nirdesh Sutra Ki Bhumika

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Vimal Kirti Nirdesh Sutra Ki Bhumika by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ भूमिका ध्यान मे रखते हुये मैंने यह काय यथाशक्ति अप्रमादपुवक सम्प्र्न करने वा प्रयत्न किया है। इस सर्करण में जो दोप रह गये हो उनका दायित्व मेरे ऊपर है इसमे जो भच्छाइयँ हैं उनवा श्रेय उन सभी प्राचीन व अर्वाचीन विद्वानों व लेखकों वो प्राप्त है जिहोने विमलकीर्तिनिर्द्शसूत्र क॑ अध्ययन अनुवाद याख्या तथा प्रकाशन बरने मे सहयोग दिया है । ४ रिमठकीर्तिंनिर्देश की परिवतंव्यवस्था एवं घेठी प्राचीन भारतीय बौद्धाचार्यों-शान्तिदेव च द्रकीति तथा कमलशील ने अपने शास्त्र में हमारे इस सूत्र को आयविमलवीतिनिदंश चाम से उल्लिखित एवं उदुघून किया है। सूत्र के अत मे इसवे तीन नामों का उल्लेख है-विमलकीतिनिदेश यमकब्य त्यस्ताभिनिहार तथा अचि प्यविमोक्षपरिवत । तिथ्वतो अनुवाद में इसे आय विमल- ममहायानसूतर फापा टिमा-मेपर--टगपे-तम्पा शेच्यावा पोइ दो न अफगस-पा द्विमा मेद-पर प्रग्स-पस्‌ बस्तन-पा ऐस-ब्यानवां थेग-पा छेतनपोई सो कहा गया है। चीनी अनुवादों व टीकाओ में यहूं सुन अनेक नामों से विदिप्त था- बेह-मो-की सो-चोउओ पौउ को स्सेउ यि फा मेन अिन्व्थविभोक्षधमपर्याय पोस-को स्सेउ थि किशइन्ती फान मेन तथा अधि पोउ-को त्सेउ-रस-चेन-पीन किजइ-तों फा-मेन । विमलकीर्तिनिर्देशासूत्र के तिव्बती अनुवाद में द्वादश परिव्ते अथवा अध्याय हैं | भतएव यहाँ प्रकाशित तीनों सस्करणो में यही सख्या-व्यवस्था रखी गई है । ीनी भाषा में उपलब्ध सभी सस्करणों में इन परिवर्तों की संख्या बतुदश चौदह है । त्वे-की न कुमारजीव तथा श्वान-च्वाँड के अनुवादों में शुतीय परिवत को दो परिवतों में विभाजित किया गया है। आवको को विभलकीति के पास भेजने की समस्या तृतीय परिवतत मे तथां बोधिससवों को विमलकीति के पास भेजने की समस्या चतुर्थ परिवर्त में बर्णित हैं। इसी प्रकार बारहुबें परिवत को भी दो परिधतों में विभक्त किया गया है | धर्मपूजा तेरहवें तथा मुँश्रेय परीदना चौदहवें परिवत के अन्तगंत हैं । कणुर में तथा वीनी अनुवादों मे परिवतंव्यवस्था विषयक अस्तर शीचे की तालिका स्पष्ट करतीं है 1 प्र? छ 79 का




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