ये आदमी है चूहे | Ye Admi Ye Choohe
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.18 MB
कुल पष्ठ :
171
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about उपेन्द्रनाथ अश्क - Upendranath Ashk
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१६ ये श्रादुमी ये चूहे बताना पड़ेगा मुझे ? कसम परमात्मा की तुम भी एक ही हरामी चुगद हो |? कक भूल गया मैं लैनी ने धीमे से कहा । मैंने बड़ी कोशिश की कि न भूलूं | भगवान कसम जार्ज मैंने बड़ी कोशिश की सच ग्रच्छा अच्छा । मैं वता दू गा । सुके कुछ काम थोड़े ही है| बत दुम भूलते रहो ओर मैं बताता रहूँ इसी में दिन ख़त्म हो श्रौर इसी से पेट भरे | मैंने बहुत-बहुत कोशिश की हैनी श्रपराधियों के से स्वर में बोला पर कुछ लाभ न हुभ्ना । खरगोशों के बारे में तो याद रहती है जार्ज | ? भाड़ में जायें ठुम्हारे खरगोश । यदि तुम्हें कुछ याद रहता है तो वेत यहाँ खरगोश । अच्छा अब तुम ध्यान से सुनो । श्र अब की रे याद रखना जिससे हमें मुसीबत में न फैँसना पड़े । तुम्हें हावई स्ट्रीद में नाते में उतर कर उस ब्लैकवोर्ड के देखने की याद है ??? लैनी का सुख उल्लास से चमेक उठा हॉ-हाँ जाज । मुके याद बाद हमने क्या किया था १ मुक्ते याद झा दे कि लड़कियाँ उबर से निकलीं श्रौर तुमने कहा... तुमने कहा... . ?? मैंने कहा खाक. . .मेरा कहना । तुम्हें याद है हम मरे और रैडी? रफ्तर म॑ गये थे और उन्होंने हमें बल के टिकट श्रौर काम के कांड जरूर ज़रर | मुझे याद गया | उसके हाथ जब्दी से कोट की बगल वाली जेबों में चले गये | उसने धीरे से कह्दा शक 4 हक की ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...