ये आदमी है चूहे | Ye Admi Ye Choohe

Ye Admi Ye Choohe by उपेन्द्र नाथ अश्क - UpendraNath Ashak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ ये श्रादुमी ये चूहे बताना पड़ेगा मुझे ? कसम परमात्मा की तुम भी एक ही हरामी चुगद हो |? कक भूल गया मैं लैनी ने धीमे से कहा । मैंने बड़ी कोशिश की कि न भूलूं | भगवान कसम जार्ज मैंने बड़ी कोशिश की सच ग्रच्छा अच्छा । मैं वता दू गा । सुके कुछ काम थोड़े ही है| बत दुम भूलते रहो ओर मैं बताता रहूँ इसी में दिन ख़त्म हो श्रौर इसी से पेट भरे | मैंने बहुत-बहुत कोशिश की हैनी श्रपराधियों के से स्वर में बोला पर कुछ लाभ न हुभ्ना । खरगोशों के बारे में तो याद रहती है जार्ज | ? भाड़ में जायें ठुम्हारे खरगोश । यदि तुम्हें कुछ याद रहता है तो वेत यहाँ खरगोश । अच्छा अब तुम ध्यान से सुनो । श्र अब की रे याद रखना जिससे हमें मुसीबत में न फैँसना पड़े । तुम्हें हावई स्ट्रीद में नाते में उतर कर उस ब्लैकवोर्ड के देखने की याद है ??? लैनी का सुख उल्लास से चमेक उठा हॉ-हाँ जाज । मुके याद बाद हमने क्या किया था १ मुक्ते याद झा दे कि लड़कियाँ उबर से निकलीं श्रौर तुमने कहा... तुमने कहा... . ?? मैंने कहा खाक. . .मेरा कहना । तुम्हें याद है हम मरे और रैडी? रफ्तर म॑ गये थे और उन्होंने हमें बल के टिकट श्रौर काम के कांड जरूर ज़रर | मुझे याद गया | उसके हाथ जब्दी से कोट की बगल वाली जेबों में चले गये | उसने धीरे से कह्दा शक 4 हक की ।




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