हरिमंदिर | Hari Mandir
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हरिमन्दिर | १७ ||
जायेंगे। कोई भूमने तक का कष्ट भी नहीं उठायेगा । इन मुगलों की तलवारों
को जग लग गया है। ये नादिर का कुछ नह विगाड सकेंगे । शराब ने इनकी
तलवारों को तडागी पहना दी है। यह काम सिंहो के पत्ते ही पड़ा हुआ है ।
भला कोई पूछे, भई, हम क्या लेना है परायी आग में जल कर १ हमारे खून के
व्यावे तो ये भी हैं; वे भी । दोनो को लडकर हके हो लेने दो । वह जरा दिल्ली
को लूट ले । दौ-एक डोने निकाल से । दवी हुई दौलत उखाड़ ली जाये । इनकी
नाव से तो टप-टप बिच्छू गिरते हैं। जरा नाक साफ हो जाये, फिर मिह
सोचेंगे । इस वार पंजाब नादिर से नही भिडेग। । हम तो नादिर की कमर तक
नही देखेंगे, जब वह जा रहा होगा । जय वह दौलत से भरी गाड़ियों, अशरफ्यि
से लदे ऊट और थोडे, गहनो की गठरियाँ लिये पंजाब से गुजरेगा तो हम उसके
माशोदार बनेंगे । मीठा झूठ के बहाने खाया जाता है। हर तो भार ही हल्का
कर सकते हूँ । हमे जरूरत ही क्या है जग के सामान की * धोडे, तोपें; दौनत-
नादिर उन सबका वरेगा भी कया * वेदार का भार सफर मे बम भार ही
वेहनर रहना है । उनका सफर हो वेहद लम्वा होगा । हमारा मेहमान है । मेवा
वरना हमारा फहं है। यह गुरुमत लक्यीं जगल मे स्वॉवार किया जाना है ।
लग्खी जगल वे भूरमा ही शोधेंगे नादिरशाह को । इन ससुरे सुटेरो ने पजाव
को जरनैली सडक यना रखा है। जब तक इनकी नाक मे सुकेल नहीं पड़ती,
तय तक ये मानने वाले नहीं हूँ । और अभी तो नादिर सिफं पामा ही है । भभवी
सुनने दो जरिया दा को--मा की गोद म जा छिंपेगा लाहौर पर उसकी
बौन-सी इंट लगी हुई है ' ससुराल चला जायेगा। पर सिंह वहां चले जायें *
यह हमारी जन्मभूमि है । मा-वाप का घर छोड कर हमें महा जाना है *'
कद विजला सिह ने टोका, “गया जल की तरह पवित्र है सक्यी जंगल । खानें-
पीने के लिए दाध-विलाव और वास के लिए रीछ 1 इस तरह वी वातें परदे के
पीछे बी जाती हू । विद्वान वहते हैं कि दौवारों के भी वान होते हैं
*शिंही में कोई चुगभयोर नहीं पैदा हो सकता । मैं दावे वे साथ पहता हू
दि सारे वजाव मे चुगली याने वाला एवं भी आदमों नही है। सारे पंजाव वो
उनसे हमदर्दी है । सारा पंजाब दुष्दी है । उन्होंने सारे पजाव की इज्जत की सूप
मे हाल बर छाट डाला है। पंजाब के सार लोग सिक्ध हैं--चाहे कोई हिंदू हो
या मुसलमान.” पारा सिंह एव क्षण वो रुके गया । फिर बोला, 'घानसा एक
देस संवार है। सिंहों दो कौन-से घोड़े तयार बरने हैं! भुरे वो कच्चे पर डाला
बोर हैपार 1....र
सनसा मिह ने अपनों दादी पर हाथ फिराया । “जरा ठहरो, जल्दवाजी
गो जरुरत नहीं है। जगर्या यां वी सौ सड्धिम पढने दो । उयवा दिमाग टिवामे
आ जाय टटिहरी को तरह आसमान को सिर पर उठाये फिरता है ! सिह नो
इसे वीडियो की तरह सगते हैं। अमृतसर खाली करवाना है (--तुम करवा के
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