अन्नपूर्णा भूमि | Annapurna Bhoomi  

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Annapurna Bhoomi   by जी. एस. पथिक - G. S. Pathik

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ग॒ 3) नवभारत प्रफाशन' पूंजीचादी संगठन नहीं हैं। वह एक सहकारी संगठन है । उसका निर्माण केवल आधिक लाभ की रृप्टि से दी नहीं टुआ है। यह संस्था यदि किन्हीं विशिष्ट ग्रन्थों फे प्रकाशन में भारी क्षति का अनुभव करेगी; तो भी उसके प्रकाशन में पीछे न रहदेगी। प्रकाशन से जो भी स्वल्पतर आय होगी; चद्द अन्य व्यय के उपरांत पुनः प्रकाशन के विनियो- जलन में उगेगी । रस संस्था द्वारा साहित्य के उन अंगों का प्रकाशन द्ोगा; जिनका हिन्दी में अभाव दै। अतः संस्था के रस सत्संद.ल्प की दाता केवल जनता ऐ, उसीका हमें एकमात्र सम्घल् ऐ 1 'नचसारत प्रन्थमाला' छारा नियमित रूपसे प्रति चरप अनेक रचनाओं फा प्रकाशन होगा । शरे: शर्नें: प्रकाशन में प्रगति होगी । दो रुपए अमानती जमा चर प्रत्येक ब्यक्ति; पिद्यालय, पुरनफालूय; पंचायत आदि इस प्रन्घमाला के स्थायी सदस्य दो सकेंगे स्पायी सदस्यों को ग्रन्धमाला की प्रत्येक पुस्तक प्रका- दिस छत ही ? मूल्य में बी० पी८ पी० से भेजी जाएगी । यह रियायप पेय स्पायी माइफों छे लिये है। जो सदस्य सचना कि चिक-. र्स्‍च पर सनाघाटर से रुपया बज दस, टन डाक व्यय नहीं देना पहना । पर प्न्पमाला फे स्थायी सदर््यों की संध्या सीमित हा ते ए ाश पद बन ना जय हे -. . हनी | परत संख्या एप अन्दर हा स्थाया सदस्य गन नी का थक कि कक. शा. यारा या दया, सर उस था उदार टन मृ “न पे पतरण यह ते ; 1५ दस सर्खों कफ स्तन से व्प्क] गा के मल्य से श की वर न टाटा यम ि ट फैन 1येगा र्सयालि कप, र सन र्यय फा शुमार नहीं हो पायेगा, इसलिये यद संस्था




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