आचार्य विनोबा भावे का राजनीतिक चिंतन | Acharya Vinoba Bhave Ka Rajnaitik Chintan

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Acharya Vinoba Bhave Ka Rajnaitik Chintan by उमाकांत पोरवाल - Umakant Porwal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दृष्टिकोण को निशिचतता और सुद्ढ़ता प्रदान करने में सहायक होती है। इसके साथ ही यह मनुष्य की शैक्षिक एवं व्यावसायिक रूप से. समायोजित... तो करता ही है आपसी सम्बन्धों को सुद्ढ़ करके लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता प्रदान करता है। आलपोर्ट ने मनोविज्ञान तथा समाज शास्त्र मैं अभिवृत्ति के प्रारम्भिक इतिहास तथा के बारे में अपने विचार व्यक्त किये हैं । उन्होंने अभिवृत्ति | 4८८ ६५०० || शब्द की उत्पतित लैटिन शब्द ०9६५५. से बतलायी जिसके सामान्य रूप से दो अर्थ है। गम . मनुष्य: नि की मानसिक तैय्यारी की दशा क्रहप६०7 5६8६७. ०४ उबतप्र०55 .. तथा दूसरा - मनुष्य की मानसिक क्षमता का इंजन 4 ०६७2 58६ दोनों ही र् प्रयोग... किया है । थामस एवं जैनैनिको | 1918 ने अपने में बताया कि अभिवृत्ति तात्पर्य मनुष्य के केन्द्रीय मनोविज्ञान, से है। वर्तमान में अभिवृत्ति के उपरोक्त में लाये जा रहे हैं । आलपोर्ट ने अभिवृत्ति को निम्न प्रकार परिभाषित ” अभिवृत्ति मनुष्य की एक ऐसी दशा है जिसमें उसका मध्तिष्क तथा तंत्रिका तथा. दोनों की पूर्ण तैय्यारी की अवस्था में होते हैं तथा जिसका प्रयोग वह अपने पूव अनुभवों के आधार पर किसी भी व्यक्ति अथवा कस्तु पर विभिन्‍न परिस्थितियों में करता हैं जो किसी न किसी रूप में. उससे जुड़ी हुई है । आलपोर्ट द्वारा लगभग 40 वर्ष लिखी गयी अभिवृत्ति की यह परिभाषा आज पं . विल्कुल सटीक तथा तथ्यपरक है और ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी व्यवि सुन्दरता प्रदान करने के उद्देश्य से अभी अभी कंघे से उसे सजीवत |




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