ब्रह्माण्ड और पृथ्वी | Brahmand Aur Prathvi

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Brahmand Aur Prathvi by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ब्रह्मापड जौर य्यी द् दूसरी महत्वपूर्ण घटना जो इन्हीं दिनों हुई वद थी #प्रकाशश्ी गति द्वारा दुरी नापना । यद विद्या थाजतक चली सा रही हैं । इसको सददायताते दी ज्ञझाग्डकी लम्दाई, चौड़ाई, गदगई, ऊंचाई सादि नापी जा सड़ीं 1 अभी तक मजुष्यद्य ध्यान दूरदर्शककी सदायतासे केवल नश्षत-निरीक्षण- की ओर था पर शव उनके फोटो लेनेकी श्रदत्ति बढ़ी । सर १८८८ के रे, दिसम्बरकों ढा० शाइज़रु राव सने चार घर्टेमें एक चित्र लिया सिसमें लग- भग एड सदर छोटे-वड़े नक्षत्र अपने अपने आद्यरानुसार अदिति हो गये 1 तयखे आाजतंक दूरद्दक और फोटोमाफी दोनों शाखयें उत्तरोत्तर इद्ि करती थाई । जले हो यसे अधिक दक्तिवाला दूरदर्शक यत्र घनता गया सुदूर टिमटिमानिवाल्म नक्षत्र, भीददारिक्य और गठेक्सीका पता स्गाया गया। साथ हो साथ चित्रपटकी सददायताते उनकी संख्या पता चलता गया। माउण्ट वित्सनके १०० इश्दाले दूरद्यक्से २०००,००० नीदारिकारथोका (सन्‌ १९३८ तक ) पता लगा है । इनमेंते श्रत्येझ नीदारिका इतनी बढ़ी है कि उससे कई थरव सूर्य_चनाएं ला सकते हैं--जब कि सूर्य प्रय्वीसे तरह लाख शुना बड़ा है । मुद्रतम नकषत्रकी दूरी १५०,०००,००० प्रस्शदरे लगायी जाती दै। यद दै मजुप्यया मांवसा ज्योतिप-श्न । यददीँ तक तो मनुष्य का ज्योतिर्ञान कम रूरनेके लिए युगोंकी पगदण्टीमें लड़यप्ाइर पड़ना अदधित डिया गया। सम रपये यह चित्रित करनेकी चेश की गई कि. मलुष्पझा ध्यान पहले श्रय्पीपर, फिर सूर्य-चन्दपर, फिर नव प्रद्दॉपर, फिर नशोपर, फिर नीदारिझमॉपर और थाज फिर सम्पूर्ण प्रह्मरद्ति बा्यर-प्रधन, रूप, रह, सायु, रिस्ठार आदिपर कैसे पहुँचा अब गली पश्योंमिं दिवार करेंगे दि बर्नमान कलमें “शवट्ार्टर दान्द कई देनेसे छ& प्रह्मथकों गति एक सेफेरस्से रद००« मोल हा




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