आचार्य हेमचन्द्र | Acharya Hemchandra

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Book Image : आचार्य हेमचन्द्र  - Acharya Hemchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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झआाचार्य हेमचर्द्र र.. सिद्हेम शब्दानुशासन-प्रशस्ति ३. न्रिपप्ठिशसाका पुरुप चरित के अन्तर्गत -महावीरचरितम्‌ यद्यपि केवल अन्त साक्ष्य के आधार पर उनका सुसमूवद्ध जीवन तो लिपिवद्ध नहीं हो सकता, किन्तु जीवन की घटनाआ। पर तथा उनके विचारों पर अवश्य प्रकाश पडता है । (९) बहि साक्ष्य की प्रामाणिकता और उसके आधार पर जीवनो के सड्केत - बहिं साक्ष्य. के अन्तगंत आचार्य हेमचन्द्र के चरिन्न विपयक्त निम्नाद्धित प्रन्य आधार माने जाते हैं-- १. शतार्थकाब्य 1 थ्रो सोमप्रभसुर्रि २. कुमार-पाल प्रतिदोध. | लघुवयस्क समकालीन वि. स १२४१ १ मोहराज पराजय मनतनी पशपाल वि. स. पेरर८्से १२३९ ४. पुरातन श्रबन्धसग्रह्ू मज्ञात ला ४. घ्रभावक्‌ चरित श्री श्रभाचन्दसुरि वि. स. १वेदेरड ६ प्रवन्धनिस्तामणि श्रो मेम्तुज्धाचार्य वि. स. १३६१ ७. पबन्घकोश श्री राजशेखरसूरि... दि. स. १४०४५ ८. कुमारपाल प्रबन्ध श्री उपाध्याय जिनमण्डन वि. स. १३६९ € कुमारपाल श्रदोध श्रवन्ध |] श्री जयरसिंहसुरि वि. स. १४२९ १०. कूमारपाल चरितम्‌ ११. विविधतीर्थव रूप शी जिनधघ्रभसुरि विस १३८८ १९ रसमाला श्री अलेक्जण्डर ई. स. १८७८ किन्लॉक फार्ब्स १३ साईफ आफ हेमचन्द्र शी डॉ बुल्दर ई. स. १८८९, अरकुतिक बफ्ल पे उयरच्य सपयधो ये आधार चर सर्वप्रयान जर्नन विद्वान डॉ. चूल्ट्र ने ई स १८८९६ में वियना मे आचार्य हेसचत्द का जीवन चरित्र लिखा । उनकी यह पुस्तक सुलत जमेंन भापा से प्रकाशित हुई । '+तत्पश्चात्‌ शो. डॉ. मणिलाल पटेल ने ई०स० १६३६ में इसका अड्प्रेंजी अनुवाद किया जिसे सिंन्धी-जैन जशानपीठ, विश्वभारती, शान्ति-निकेतन ने प्रकाशित किया 1 आाचार्पे हेमचन्दर के जीवन-चरिश्र वा अध्ययन करने के लिये यह पुस्तक




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