खुरदरा आदमी | Khurdara Aadami
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खुरदरा आदमी : 17
बीच मेरा हाथ रख देवी, मुझे अपने ऊपर आने को कहती । मेरी जाघों के
बीच अपना हाथ डालकर मुझे वेसे ही करने को कहती, जैसे हैडमास्टर
हैडमास्टरनी के साथ कर रहा था । फरक इतना ही था कि उसकी
गौरी पिंडलिया दिखाई देती थी और चुनी की नही । मेरी इच्छा यही
रहती थी कि मैं चुन्नी की गौरी पिंडलियो को जरूर देखू जिन्हे मैं केवल
महसूस कर सकता था । इस खेल से मुझे नीद आने लगती और मैं सो जाता
कभी-कभी मैं रात को जाग जाता तब मैं महसूस करता कि चुन्नी की लम्बी
सासे मरे गालो पर गिर रही हैं। कमर के नीचे का सारा अग नगा पढ़ा
ह। मैं उसकी जाघो पर अपने हाथ फेरता। फिर मैं अपना हाथ उसकी
गौलाइयों पर फेरता । बे भी रात को नगी ही रहती थी । मुझे फिर नीद
आं जातो । लेकिन कभी-कभी वहू भी जग जाती भर फिर वही खेल शुरू
कर देती । मुझे यह भी याद है कि कभी मै छोटा था, तव मै मा के साथ
सोया करता था, अपने हाथो को इसी तरह घुमाया करता था । मुझे मा के
स्तनों से दूध मिलता था और चुननी के स्तनों से भी इसी तरह का एक
रस । जब पिताजी धर होते, चुन्नी नहीं सोया करती थी । चुन्ती की हल्की -
सी याद आती और मैं सो जाता । मा उस दिन कहानी भी नहीं कहती थी 1
एक दिन चुनी ने बाजरी के झुरमुट में भी यही खेल किया । उस समय
मैं उसकी गौरी पिडलिया देख गया था 1 बे हैडमास्टरनी की पिंडलियों से
कम गौरी नहीं थी । रात के बिस्तर में केवल मैं उसकी कपहना मात्र कर
सकता था। जिस दिन चुन्नी का विवाह हुआ, उस दिन मुझे सब कुछ वी राम
और उजडा-उजडा-सा लगा था । वह घूघट निकालकर विदा ले गई । बहू
बहुत लम्बी दीखने लगी थी । मैं उसके कमर तक ही आता था । बहुत दिनों
के वाद वह फिर हमारे घर सोई थी। उस समय उसका बच्चा साथ में
सोया हुआ था । सलमान
६ रद
हमारे पडौस में मेरे बाबाजी का घर थाने सावन 21
, बहुत शोकीन तबीयत के थे । उन्होंने अपना-सीरपुकवरु .,
खराब कर दिया । उनके बड़-बड़ें “बालहोते येदपुको 2. <
एक वन्दूक । घर से निकलते थे तो शान से नि लता
रस
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