जीवन सफलता के तीन साधन - मन्त्र, सत्य , पुरुषार्थ | Jeevan Safalta Ke Teen Sadhan Mantra, Satya, Purusharth
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
164
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(११ ३
घारण झाकपंत शक्ित अन्तर्ित रहती है, और
मित्रता सौर प्रेमभाव से हो यहद संस्गर सुखसय
बन जाता है | सत्य हो विश्वाम्पपात्र बनने का
मुख्य साधन है । गरीब से गरोब मनुष्य को
नति के शिस्वग पर पहुँचाने वाला स्वत्य,
को छोड़कर झन्य कोई प्रबल साधन नहीं है.
पुरुषाथ
घोर रात्रियां व्यतीत हो जाती हैं संकटों
पब॑ खिघ्न परम्परार्मो को घेय॑ के स्वाथ विजय
प्राप्त करने वे पुरुष दो झानन्द का स्वच्चा
लाभ लेते हैं । दुःख भोगे बिना सुख का स्वरुचा
स्वाद नहीं मालूम पड़ता है। दुम्स्व ही खुस् को
बिशेष रम्विक बनाता है । इसलिंप जुः्स्वों को
भूल जानी झोर खुस्त में हो सिलर्ख करने. के.
तुम स्थप्त देखो )'
म्न्न्
यद्द झाध्यात्म शास्त्र का रहस्य है । मम्त्र
कद अजुष्य का लाध्पारिसक जोन दे । सण्तर:'
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