समालोचना तत्त्व | Smalochna Tattv
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
205
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about नलिनीमोहन सान्याल - NaliniMohan Sanyal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)समालोचना-तत्व
समालोचना-विषयक मनस्तत्व की
कुछ आलोचना
व्याकरण-शास्त्र वा घम-शास्त्र वा. वेदान्त-शास्त्र के सद्रश
' समालोचना ' नामक कोई घिशेष शास्त्र भारत में नहीं है।
परंतु संस्छत झलंकार-शास्त्र में इस विषय की यथेष्र श्यालोचना
मिलती है । भरत मुनि से लेकर मम्मट तक श्लौर मम्मट से लेकर
विश्वनाथ तक मनीधियों एवं मलिनाथ इत्यादि प्रसिद्ध टीकाकारों
ने काव्यों के दोष गुणों का यथेष्र विवेचन किया है । यूरुप में
भी इस विषय की घालोचना ध्रस्तू के समय से होती चली
घ्याई है । गत दो तीन शताब्दी से इंगलेगाड, फ्रान्स, जमनी शोर
झ्रमेरिका में बड़े बढ़े समालोचक पेदा हुए हैं । झ्तएव समा-
लोचना-शाख्र ्याघुनिक घा उपेक्तणीय नहीं । परन्तु हिदी में
इस विषय की ध्रालोचना थोड़ी हुई है झ्रोर समालोचना-शास्त्
के झ्रभाष के कारण दिंदी-साहित्य की उन्नति में बहुत बाधा
पड़ रही है ।
जब हम किसी रचना की प्रशंसा था निन्न्दा करते हैं, तब
हमारे मन में इस बात की ठीक-ठीक धघारणा रहदनी चाहिए कि
क्यों चद्द प्रशंसा घा निदा के योग्य है । काव्य के उत्कष या
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