साहित्यिक जीवन के अनुभव और संस्मरण | Sahityik Jivan Ke Anubhav Aur Sansmaran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
148
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[७]
समय में अम्बाला-डिवीजन के करनाल जिले में--पुडरी के
सनातनघमं हाई स्कूल मे--सस्कृत हिन्दी का अध्यापक था ।
इस स्कूल के प्रघानाध्यापक प० वनीघर शर्मा एम० ए०, वी ०
टी० मेरे मित्र बन गए थे , क्योकि आप भी सस्कृत के एम०
ए० थे--लाहौर के सनातनधरमं कालेज से आए थे। दार्मा
जी नें ही मुझे लाला आात्माराम जी से मिलाया था ।
लाला आत्माराम जी पुस्तक देख कर वहुत प्रसन्न हुए ;
पर सलाह दी कि इस में ईसा, विक्टोरिया तथा वर्तमान सम्राट
के जीवन श्रौर दे देने चाहिए । में ने ईसा का जीवन देना तो
मान लिया , पर अन्य कुछ देने को राजी न हुआ। तव
लाला जी ने स्पष्ट कहा कि ऐसी स्थिति में आप की पुस्तक
मेट्रिक में न लग सकेगी ।. बहुत समझाया कि छात्रों में
अच्छे विचार जाएँ गे और आप को काफी रुपये मिलें गें ,
हुजें क्या हैं वैसा करने में ; पर उन की सुन्दर सीख नें मेरे
ऊपर कोई असर न किया ! तब उन्हों ने कह दिया कि
ऐसी स्थिति में पुस्तक इधर-उधर भेजने में डाक-खर्चे और
वढाना व्यथे हे। लाला जी की यह वात सुन कर में ने
हू पुस्तक भी फाड दी !
माधुरी का प्रकाशन
इसी समय वडे ही ठाट-वाट से 'माघुरी' नाम की मासिक
पत्रिका लखनऊ से प्रकाशित हुई। “नवल किशोर इस्टेट'
के मालिक मुन्शी विष्णुनारायण भार्गव की पुप्कल धघन-
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