मदवालीकी रामायण -3 | Madwaleeki Ramayan (iii)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
600
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(३).
चअग्रे वाचयति प्रभव्जज्नसुते तत्त्वं सुनिभ्यः पर
व्याख्यान्त॑ भरठादिमि: परिवृतं राम॑ भजे श्यामलम् ॥१३॥
न
माध्यसन्म दाय:
शुक्लाम्बरघरं विष्णणु शशिवण 'चहुभुजम्।
अ्रसननवदनं ध्यायित्सबेविघ्नोपशान्तये ॥१॥।
क्तच्मीनारायणुं वन्दे तद्धक्तप्रचरो दि य: ।
श्रीमदानन्द्तीथांख्यो शुरुस्तं 'च नमास्यद्दमू ॥२॥
बेदे रामायणे चैव पुराणे भारते तथा।
'ादावन्ते च सध्ये व विष्णणु: सबंत्र गीयंते ॥३॥
सबंविध्न्रशमनं सर्वसिद्धिकर परम् ।
स्वेजी बप्रणेतारं वन्दे विजयदं दरिम् ॥|४॥।
सवांभीष्टप्रदू रामं सर्वारिष्टनिवारकम्।
.. जानकीजानिमनिशं बन्दे मदूरुरुवन्दितम् ॥४0।
'अभ्मं भज्रदतिमजड विमलें सदा ।
आनन्दतीथंसतुलं भजे तापत्रयापदम् ॥ ६॥।
अवति यद्जुमावादेडसूको 5पि वारसी
जडमतिरपि जन्तुज्ञांयते ्राज्षमौलि: ।
सकलवचनचेतोदेवता भारती सा
मम वचसि विधत्तां सन्निर्घि मानसे च ॥७॥
मिथ्यासिद्धान्तदुष्वॉन्तविध्वसनविचक्षण:
व जयतीथाख्यतरसिरभाखसितां नो हृदम्बरे ॥८॥॥
अति ििििि ायामनतणा्ततसलाम्ववववेनपसकापक चा?
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