इग्लैंड का राजदर्शन | England Kaa Raajdarshan

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Book Image : इग्लैंड का राजदर्शन  - England Kaa Raajdarshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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परिचय व “निर्धारित करने में सहायता की है, एक श्धिक विशिष्ट अंग्रेजी परम्परा का: प्रतिनिधित्व किया है । यदि विधि प्रातीतिक मस्तिष्क का अध्ययन है--उस मस्तिष्क का जो साकार है श्र वाह नियमों श्र स्वीकृतियों में मूर्तिमान है--तो मनोविज्ञान: मस्तिष्क की उन श्राम्तरिक प्रक्रियाश्रों का श्रध्ययन करने की चेष्टा करता है जो विधि तथा समस्त सामाजिक व्यवहार की पृष्ठभूमि होती हैं । इन प्रक्रियाओं का “ब्नकरणु” श्र “सामाजिक तर्कशास््र' शीर्पकों के न्तेंगत श्यध्ययन विशेष रूप से टा्डें जैसे फ्रांसीसी विचारकों ने किया है। और उनकी प श्रौर विचार के कुछ तत्व मैकड्टूगल (01८त०प्«1) श्र आइम वालाज़: ((9प20210 ए21125) सरीखे समाजशाख्ियों ने, जो सामाजिक घटनाओं का मूल मनोविज्ञान में खोज निकालने का प्रयत्न करते हैं, श्रपनाए हैं । इस पद्धति का दोष उस प्रकृति में निषित है जिसे यदद बढ़ावा देती है; जो सामाजिक घटनाओं के गंभीर विश्लेषण को ( श्रौर यही मंनोविज्ञान का पूण विधय है ) एक बिल्कुल दूसरे प्रकार की वस्तु के समरूप मान लेती हैं। यह वस्तु हे इन घटनाओं के कारण आर हेठ॒ की व्याख्या । सामाजिक प्रदृत्तियों की उन प्रक्रियाओं का विश्लेषण करना जो एक समान नैतिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए. संगठित समाज की घु घली पृष्ठ भूमि में छिपी रहती है तथा ऐसे किसी समाज की वास्तविक प्रकृति और उसके वास्तविक कारण की व्याख्या करना एक बात नहीं है । यह केवल उत्पत्ति का वर्णन करना हैं । श्रौर बहुत समय पूर्व झरस्तू ने, यह कहते हुए कि राज्य जीवन की श्वश्यकताओं के लिए. उत्पन्न हुआ परन्ठु नैतिक जीवन की श्रावश्यकताओओं की पूति के लिए, वर्तमान है, भौतिक प्रक्रियाओं ( जिनमें मनो-भौतिक प्रक्रियाओं को भी जोड़ा जा सकता है); जो राज्य की उत्पत्ति की व्याख्या करती हैं, श्रौर उन नैतिक. कारणों के जो उसके अस्तित्व की व्याख्या करते हैं, झ्रन्तर पर जोर दिया था | ऐहिक प्रधानता को सामधिक संबंध में बदल देने की इस प्रवृत्ति को राजनीति शास््र में ऐतिहासिक पद्धति के अनुप्रयोग से भी उतना ही बढ़ावा मिला है । मेन ने प्राचीन विधियों के प्रमाण से प्रारंभिक समाज की उत्पत्ति का प्रदर्शन कर ठोस काय॑ किया था; और नुबंशशाख्रियों (5.0000/00010505) ने




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