नयी तालीम | Nai Talim
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
380
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपनिपंद दाब्द सकत में स्व्ोलिंगी है. जैसे परिपद । उपनिपद क्यों
है * गाय हूं। सारी उपनिपद थायें है। अपना सर्वोत्तम ग्रन्थ
हिन्दुस्तान का कौन-सा हे * उपनिपद | उपनिपद में से, उस गाय
से दोहन कर लिया भगवान ढृप्ण ने और--
दुग्ध गीतामृत महत्
भीतारुपी सुदर दूध हमें भगव न कृष्ण ने पिलाया । यायें कौनसी
थी * उपनिषद । उन गायों स इप्ण ने हमें यह उत्तम गीतामृतम्
पिया । नया हम कहीं देखत नहीं । दुनिया के दूसर देवों की भाषा
में बंप बहेंग ? झाराबे शोक पीता जा ।' तुमको पीना है. तो शराव
पिन्रो। रब की वात करेंगे गोदुग्ध की वात नहीं दरेंगे । भारत
थी सस्कृति हैं, घराव नहीं पियेंगे गाय रा दूध पियेंगें ।
खादी साय के साय जुड़ जाये
गाधीजी की जो प्राथना चलती थी सुबह की वह हम यहाँ
नहीं चलाते । यहाँ पूरा ईशावास्योपनिपद वोलते है । उनवी सुबह
को प्रायना में कई इलोक आते थे। उसमें एक इलोक था--
स्वस्ति प्रजाभ्य. पररपालयन्ता
न्याय्येन मागेंग सही सहीशा 7
गो-ब्रह्मणभ्य. शुभ अस्तु नित्य
लोक. समस्ता सुखिनो भवतु।
सभी लोग सुदी हो जायें 'राज्यवर्ता उत्तम रीति से रोज्य-
पालन बरें और गयें और ब्राह्मण--दीनों या दुभ हो। वात ऐसी है
कि आज गा्ये भी सवट में पड़ी हूं और ब्राह्मण भी सबर में पडा हूँ ।
इसनिये खादी को गाय वो साथ जोइना ही पड़ेगा। खादी आपको
बपडा दगो, ओर खाने व लिय गाय था दूध मिलगा । आप लोग जो
काम यर् रह है यादी वा, उसमें व्यापार वो वात भी सा गई है ।
तो उगस अप मुक्त हो जयें एसी वात वाया आापयों वहेगा नहीं ।
चपोंति यह प्रंबिदकन (स्यावहारिग) नहीं हैे। इसलिये आपक थार्य
चाप छुस्द पद चेत्यिद पि लितने गौव आपने स्वावलम्बी बनाये 7
श्ब्]
[षियी तालीम
User Reviews
No Reviews | Add Yours...