भारत में कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा | Bharat Me Kamjor Vargo Ke Liye Samajik Suraksha

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Bharat Me Kamjor Vargo Ke Liye Samajik Suraksha by सोमदेव मिश्र - Somdev Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पर, जीवन निर्वाह करने तथा काम प्राप्त करने तक उचित लाभ देने की व्यवस्था करे। वास्तव में सुरक्षा एक मानसिक और भौतिक दोनों ही प्रकार की धारणा है” । सुरक्षा का आनन्द उठाने के लिये लोगों को इस बात पर भरोसा दिलाना आवश्यक है कि ये लाभ जब भी इनकी जरूयत होगी, उन्हे मिलेंगे तथा सुरक्षा पर्याप्त मात्रा में होगी । उपर्युक्त परिभाषा से स्पष्ट हो जाता है कि सामाजिक सुरक्षा किसी देश के नागरिकों का एक मानवीय अधिकार है, जिसके अनुसार उनमें से प्रत्येक को सामाजिक जोखिमों से पर्याप्त संरक्षण मिलना चाहिये। लेकिन यह नहीं भूलना चाहिये कि सामाजिक सुरक्षा मुख्य लक्ष्य न होकर एक गौण लक्ष्य है। इसमें यह मानकर चला जाता है कि साधारणत: राज्य के प्रत्येक नागरिक को एक जीवन निर्वाह मजदूरी मिलती है और उसका स्वास्थ्य अच्छा है, अर्थात्‌ राज्य की सम्पूर्ण जनता को उचित भोजन, उचित वस्त्र एवं उचित आवास आदि की सुविधाएँ उपलब्ध हैं। किन्तु इसका यह आशय नहीं होता कि जिन स्थानों में ये सुविधाएँ उपलब्ध है उन स्थानों में योजना लागू न की जाए। 4. जी. डी. एच. कोल (6.0.11.0016) के शब्दों में, “सामाजिक सुरक्षा से तात्पर्य यह है कि सामाज के प्रतिनिधि के रूप में सरकार अपने समस्त नागरिकों के लिये एक न्यूनतम जीवन स्तर बनाये रखने के लिये उत्तरदायी है।”* 5५... न्यूजीलैंड की. सामाजिक सुरक्षा पद्धति (50८91 5600ा10४# 5४५६8, |ई६५४26(दा00) में इस बात पर बल दिया गया है कि सभी नागरिकों के लिये कठिनाइयाँ . स्रोतः- 7, 8 श्रम समस्याएं एवं सामाजिक सुरक्षा, एस. सी. सकसेना पृ. स. 704, 705




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