कुमारदास कृत जानकीहरण महाकाव्य - एक समालोचनात्मक अध्ययन | Kumardas Krit Jankiharan Mahakabya - Ek Samalochanatmak Addhayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[5] इनकार करना कठिल तथा ल्‍्यायेचवित नडडीं कहा जा स्रकता। इसकी अपेक्षा अन्त: साक्ष्य की बलवन्तर स्वीकार करके कुमारदास को केवल कवि मानना डी युक्तियुक्त छा! ट्सरी वब्यात यह है कि मद्रास की. पाण्डलिप और पाण्डलियियों की अपेक्षा अधिक प्रमाणित है। शिक्षा: - मडाकवि की शिक्षा भारत या लंका में द्लाह्मण पण्डितों के द्वारा डी प्राप्त हुई डै, क्योंकि उसर युग में लंगा में भी ग्लाह्मण विद्वानों की काफी प्रतिष्ठा थी और उन्डें मंत्री तथा राजपुद्यहडित पद पर नियुक्त किया जाता था जीविका के लिए प्रचुर सम्पति दान में दी जाती थी। धर्म एवं सम्प्रदाय: - इतिडासकासें ने उन्डे बौद्धधर्मालुयायी डी माला है तथा मॉर्यकूलोात्पन्न कहा है मिडावंश, ने भी बौद्ध डी बताया हैं और एल०्डब्लू टामस एवं आर गनन्द गीकर आदि




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