जैन सिद्धांत थोक संग्रह [भाग 1] | Jain Siddhant Thok Sangrah [Bhag 1]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
198
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ध्मण घमें (७
जाना पापफापापाकापाफाव पापा घाव 4
श्रप्ण धर्म
माघु-साध्वियों का आत्म-विफास कर के भुवित प्राप्त
कराने वाली साधना फो ' श्रमण-घर्म ' कहते हैं ।
इसके दस भेदो का वर्णन स्थानाग सूत्र के १० वे स्थान
में एस प्रकार किया है |
१ क्षमा-फ्रोध पर विजय प्राप्त कर शात रहना 1
२ मुिति-लोभ-लालच से मुवत रहना 1
३ भार्जव-माया-कपट का त्याग फर सरस वनना ।
४ मा्दय-मान-जहदंकार का त्याग कर नमन होना ।
# सापव-लपुता-हुलफापन 1 पस्पादि वाद्य उपधि और
संसारियों फे स्नेह रूपी आभ्यतर भार से हनका रहना ।
६ सत्य-भसत्य से सर्वधा टूर रहना और आवश्यक हो
तय सत्य एप हितिफारी ययनों का व्ययह्दार करना 1
७ सपम-मसन, पयन और फाया फी सावय प्रवृत्ति फा
एयाग करना ।
८ तप-परणा का निरोध कर दारट प्रवार का सम्यग
एप मरना ॥
₹ एयाग-परिद्टु छोर सम्ट दूत्ति से सुर रहना 1
१८ इ्यर्-गपदाद सहिए दिएट इ्ासचय धय पालन
परया ।
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