जैन सिद्धांत थोक संग्रह [भाग 1] | Jain Siddhant Thok Sangrah [Bhag 1]

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Jain Siddhant Thok Sangrah [Bhag 1] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ध्मण घमें (७ जाना पापफापापाकापाफाव पापा घाव 4 श्रप्ण धर्म माघु-साध्वियों का आत्म-विफास कर के भुवित प्राप्त कराने वाली साधना फो ' श्रमण-घर्म ' कहते हैं । इसके दस भेदो का वर्णन स्थानाग सूत्र के १० वे स्थान में एस प्रकार किया है | १ क्षमा-फ्रोध पर विजय प्राप्त कर शात रहना 1 २ मुिति-लोभ-लालच से मुवत रहना 1 ३ भार्जव-माया-कपट का त्याग फर सरस वनना । ४ मा्दय-मान-जहदंकार का त्याग कर नमन होना । # सापव-लपुता-हुलफापन 1 पस्पादि वाद्य उपधि और संसारियों फे स्नेह रूपी आभ्यतर भार से हनका रहना । ६ सत्य-भसत्य से सर्वधा टूर रहना और आवश्यक हो तय सत्य एप हितिफारी ययनों का व्ययह्दार करना 1 ७ सपम-मसन, पयन और फाया फी सावय प्रवृत्ति फा एयाग करना । ८ तप-परणा का निरोध कर दारट प्रवार का सम्यग एप मरना ॥ ₹ एयाग-परिद्टु छोर सम्ट दूत्ति से सुर रहना 1 १८ इ्यर्-गपदाद सहिए दिएट इ्ासचय धय पालन परया ।




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